BHAGALPUR : सुलतानगंज प्रखंड के नयागांव पंचायत के बाथ गांव मे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास किशोरी जी ने एक प्रेमी भक्त विदुर जी की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान को जीवों से एक मात्र प्रेम चाहिए। भाव चाहिए, भगवान भाव ग्राही हैं। उन्होंने कहा की भगवान भक्त के भाव पर ही रीझते हैं। भाव के बस में आकर ही भगवान सबरी के जूठे बेर तक खा लिए। विदुराणी के हाथ से केले के छिलके तक खा लिए। उन्हें कोई वस्तु नहीं चाहिए, बस प्रेम चाहिए।
फिर उनके द्वारा शिव सती चरित्र के उपरांत मंगल शिव पार्वती विवाह की कथा सुनकर श्रोता बड़े आनंदित हुए। वहीँ ध्रुव चरित्र का व्याख्यान करते हुए उन्होंने कहा कि भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती। भक्त ध्रुव को 6 वर्ष की उम्र में भगवद प्राप्ति हुई। भगवान को अगर निवेदित ही करना है तो बचपन का खिला हुआ फूल निवेदित किया जाए, बुढ़ापे का मुरझाया हुआ फूल नहीं। भक्ति का बीज जीव के जीवन में बचपन से ही होना चाहिए।
अजामिल की कथा के दौरान उन्होंने कहा जीव चाहे जिस भी भाव से भगवान का नाम लेता है नाम उद्धार करता है। प्रहलाद ने प्रेम से गाया। हिरण्यकश्यप ने द्वेष से, कंस ने भय से भजा और इनका उद्धार हुआ। इस घोर कलिकाल में भगवान ही वो नौका है जिस पर सवार होकर भाव से पार हो जाए। इस दौरान सभी श्रोता एवं सदस्य गण मौजूद थे।
भागलपुर से बालमुकुन्द की रिपोर्ट