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शव को इलाज के लिए पटना रेफर कर दिया प्राइवेट अस्पताल ने, सामने आई सबसे बड़ी लापरवाही, जानें क्या है पूरा मामला

शव को इलाज के लिए पटना रेफर कर दिया प्राइवेट अस्पताल ने, सामने आई सबसे बड़ी लापरवाही, जानें क्या है पूरा मामला

HAJIPUR : खबर हाजीपुर के नगर थाना क्षेत्र स्थित जोहरी बाजार से है. जहां एक निजी क्लीनिक पर लोगों ने काफी हो हल्ला किया.  यहां प्रसुता की मौत के बाद जिम्मेदारी से बचने के लिए अस्पताल के संचालकों ने शव को दूसरे अस्पताल में लेकर जाने के लिए रेफर कर दिया। लेकिन अस्पताल वालों की यह चालाकी मृत प्रसुता के परिजनों के सामने उजागर हो गई। जब सच्चाई घर वालों को पता चली उन लोगों ने अन्य स्थानीय लोगों के सहयोग से अस्पताल पर धावा बोल दिया. इसी दौरान अंदर से अस्पताल बंद कर अस्पताल कर्मियों ने अपनी जान बचाई. 

यह है पूरा मामला

बताया गया कि जोहरी बाजार के रहने वाले पंकज सिंह ने अपने पत्नी नीलम देवी को जौहरी बाजार स्थित एक निजी नर्सिंग होम में डिलीवरी के लिए भर्ती कराया था. उन्हें बताया गया कि ऑपरेशन करके बच्चा होगा. लेकिन इसके बाद सीधे सूचना दी गई कि मरीज की हालत ठीक नहीं है उन्हें पटना लेकर जाइए. पंकज सिंह ने अपने मरीज को देखा तो वह मरी हुई थी. इसके बाद बवाल खड़ा हो गया. इस विषय में पंकज सिंह ने बताया कि हम लोग यहां भर्ती करवाए थे. अल्ट्रासाउंड वगैरह भी हुआ था और बोला गया कि डॉक्टर लगे हुए हैं कॉमन डिलीवरी नहीं होगा ऑपरेशन की जानकारी दी गई. आधे घंटे में ही ऑपरेशन जैसे तैसे कर दिया गया. 

डॉक्टर मात्र 5 मिनट रुक कर चला गया. इसके बाद बोला गया कि रेफर कर देते हैं. पटना लेकर जाइए जबकि मेरा मरीज मर चुका था. यही नहीं बच्चे को भी नहीं दिखाया गया और ना ही बच्चे की जानकारी भी दी गई की बच्चे की हालत क्या है. इतना ही नहीं ब्लड के लिए भी बोला गया था कि ब्लड चढ़ाना पड़ेगा जबकि पेशेंट मर चुका था. वही इस विषय में सदर एसडीपीओ राघव दयाल ने बताया कि मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची थी. पुलिस ने मामले को शांत करवा दिया है. पीड़ित पक्ष के द्वारा आवेदन मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. 

पुलिस के दखल के बाद शांत हुआ मामला

महिला की मौत के बाद हंगामा इतना बढ़ गया था. मौके पर पहुंची नगर थाना की पुलिस से जब मामला शांत नहीं हुआ तो सदर एसडीपीओ राघव दयाल को अतिरिक्त बल के साथ मौके पर पहुचना पड़ा. हालांकि उनके आश्वासन पर मामला शांत हो गया. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि निजी नर्सिंग होम के संचालक अपना मनमानी कब तक चलाते रहेंगे. जबकि इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं.

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