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परिवहन विभाग को लेकर कैग रिपोर्ट सिर्फ झांकी, यहां हो चुके हैं अरबों रुपए के महाघोटाले, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

परिवहन विभाग को लेकर कैग रिपोर्ट सिर्फ झांकी, यहां हो चुके हैं अरबों रुपए के महाघोटाले, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

PATNA : बिहार विधानसभा में दो दिन पहले कैग रिपोर्ट पेश किया गया, जिसमें बताया गया कि कैसे परिवहन विभाग के कर्मियों की लापरवाही के कारण सरकार को 492 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान पहुंचा है। लेकिन यह नुकसान कैसे हुआ, कैसे परिवहन विभाग के अंतर्गत आनेवाले डीटीओ कार्यालय द्वारा सरकार को गाड़ियों के निबंधन में गड़बड़ी की गई। यह जानना भी जरुरी है। 

2019 में पटना डीटीओ कार्यालय की ऑडिट रिपोर्ट सामने आई थी, जिसके अनुसार बताया गया कि कैसे डीटीओ से गाड़ियों के नंबर एलॉट करने के दौरान मनमानी की गई। बिना दस्तावेज जमा कराए ट्रांसपोर्ट डीलरों के जरिए लगभग एक हजार के करीब गाड़ियों को नंबर बांटे गए। जिससे करीब तीन अरब रुपए का नुकसान हुआ था। चौंकानेवाली बात है कि विभागीय जांच में भी इसकी पुष्टि हुई थी। लेकिन मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 

डीलर प्वांइट रजिस्ट्रेशन

बिहार के डीटीओ कार्यालय में गड़बड़ी की शुरुआत तब हुई जब गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन का काम डिजिटल तरीके से शुरू हुआ। इसी दौरान गाड़ियों के नंबर एलॉट को आसान बनाने के लिए सूबे के सभी डीटीओ से एक नई व्यवस्था आरंभ की गई। इस व्यवस्था को डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन नाम दिया गया। इसमें डीटीओ कार्यालय से सीधे ट्रांसपोर्ट डीलरों को सैंकड़ों की संख्या में गाड़ियों के नंबर दे दिए गए। गाड़ी खरीदने के बाद तत्काल नंबर अलॉट किये जाने लगे। लगभग सात साल तक यह व्यवस्था बनी रही और 2017 में इसे बंद कर दिया गया। लेकिन, यहां डीटीओ के कर्मियों ने एलॉट किए गए नंबरों को वापस  नहीं लिया। और बिना डॉक्यूमेंट और टैक्स जमा कराए ही नंबर एलॉट कर दिए गए। बताया गया कि इस दौरान लगभग एक हजार नंबर ऐसे ही बांटे गए।

रिपोर्ट के अनुसार गाड़ियों की कीमत के आधार पर टैक्स की निर्धारण होता है। जिनमें एक से पांच लाख रुपए तक की गाड़ी के लिए आठ फीसदी टैक्स देना होता है।

इसी तरह पांच लाख से दस लाख पर 10 फीसदी, 10 लाख से ऊपर की गाड़ियों पर 12 फीसदी टैक्स लगाया जाता है। इसके अलावा सभी पर एक फीसदी रोड सेफ्टी टैक्स करने पर गाड़ी का रजि. होता है। नियम के अनुसार यह टैक्स गाड़ी के शोरुम कीमत और 28 फीसदी जीएसटी जोड़कर जो गाड़ी की कीमत होती है, उस पर टैक्स तय किया जाता है।  

दो पहिया वाहनों के नंबर बांटे लक्जरी वाहनों को

ऑडिट रिपोर्ट और विभागीय जांच में इस बात की पुष्टि की गई है कि डीटीओ कर्मियों ने कैसे दो पहिया वाहनों के लिए एलॉट नंबर को लग्जरी गाड़ियों को बांटे। जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा है। इसे इस तरह से समझें कि अगर गाड़ी की कीमत 12.50 लाख है, तो उन्हें टैक्स के रूप में 13 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ेगा। टैक्स जमा करने पर ही गाड़ी नंबर एलॉट किया जाएगा। लेकिन अगर पहले से दो पहिया वाहनों के एलॉट किए गए इन गाड़ियों को मिले तो टैक्स के 1.75 लाख बच जाते हैं। डीटीओ में यहीं पर गड़बड़ी की गई और डीलर प्वांइट रजिस्ट्रेशन में पहले से अलॉट दो पहिया वाहनों के नंबर लग्जरी गाड़ियों को बांट दिए गए। जिससे सरकारी राजस्व को तीन अरब का नुकसान पहुंचाया गया

2018-19 में हुआ पूरा घोटाला

इस पूरे घोटाले को सिर्फ एक साल में अंजाम दिया गया। 2017 में डीलर प्वांइट रजिस्ट्रेशन के बंद होने के बाद बचे हुए नंबर के साथ डीटीओ में जमकर खेला हुआ और सिर्फ एक साल में दो पहिया वाहनों के नंबर बड़ी गाड़ियों को दे दिए गए। 

कर्मियों पर लगे थे सीधे आरोप

जांच में डीटीओ सहित कई कर्मियों पर गंभीर आरोप लगे थे। पटना डीटीओ दफ्तर में भ्रष्टाचार के मकड़जाल के खिलाफ   न्यूज4नेशन की मुहिम के बाद एक डीटीओ और एक क्लर्क के खिलाफ कार्रवाई की गई। लेकिन बताया जाता है भ्रष्टाचार के कई आरोपी अभी भी आराम से जमे हुए हैं और चांदी काट रहे हैं।   


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