PATNA : पटना जीपीओ में हुए करीब 5:30 करोड़ रुपए के घोटाले में सीबीआई लगातार कार्रवाई कर रही है, लेकिन बड़ा सवाल यह है की बेनामी खाताधारकों की सूचना किसके लीक की। 25 सालों से जिन खातों पर किसी ने दावेदारी नहीं कि थी वैसे बेनामी खातों की सूचना किसने लीक की?
यह सवाल अभी भी सीबीआई के सामने खड़ा है। सीबीआई अभी तक ऐसे लोगों की पहचान नहीं कर पाई है। बताया जा रहा की बेनामी खातों की सूची लीक करने में जीपीओ के एसबीसीओ का हाथ है, लेकिन वो है कौन ?
सवाल यह भी है कि जिन एसबीसीओ अधिकारियों ने घोटाले की मोटी रकम बैंक के खातों तक पहुंचाया क्या उन लोगों तक सीबीआई पहुंच पाएगी।
गौरतलब है कि पुराने और बेनामी खातों से संबंधित कागजात की जानकारी सिर्फ एसबीसीओ के पास ही रहता है। जाहिर सी बात है की बेनामी खातों के दस्तावेज अगर लीक किए गए या जीपीओ के कनीय कर्मचारियों को दिया गया तो इसका जिम्मेदार एसबीसीओ ही है।
बता दें कि जीपीओ घोटाला की जानकारी 3 अगस्त को सामने आने के बाद सबसे पहले जीपीओ के काउंटर क्लर्क मुन्ना को सस्पेंड कर दिया गया था। उसके बाद राजेश कुमार बसु, जय कुमार तिवारी को भी निलंबित कर दिया गया।
हैरान करने वाली घटना यह है कि जब घोटाला उजागर हुआ तो आनन-फानन में कर्मचारियों ने करीब डेढ़ करोड रुपए सरकारी खजाने में जमा करा दिए उसके बाद भी 7 लाख रुपये जीपीओ के कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों के बैंक खाते से जप्त किया गया।
अब यह बात साबित हो चुका है कि इस पूरे खेल के पीछे एसबीसीओ की मिलीभगत है, क्योंकि बेनामी खाते का सारा दस्तावेज इन्हीं लोगों के पास होता है। अब सीबीआई उन दो प्रमुख एसबीसीओ की तलाश में है जिसने बेनामी खातों का दस्तावेज लीक किया और इस घोटाले को जन्म दिया गया।