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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने सीबीआई की विश्वसनीयता पर उठाए सवाल, कहा – सरकारें बदलती रहती है, आप स्थायी, निष्पक्षता न खोएं

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने सीबीआई की विश्वसनीयता पर उठाए सवाल, कहा – सरकारें बदलती रहती है, आप स्थायी, निष्पक्षता न खोएं

NEW DELHI : देश में सीबीआई पर अब तक राजनीतिक दल ही सवाल उठाते थे। लेकिन अब देश के मुख्य न्यायाधिश एनवी रमणा ने सवाल उठा दिए हैं। सीजेआई ने साफ कहा कि समय के साथ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की विश्वसनीयता खोती जा रही है। वह सार्वजनिक जांच के घेरे में आ गई है। क्योंकि इसकी कार्रवाई और निष्क्रियता ने कुछ मामलों में सवाल खड़े किए हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जब CBI की बात आती है तो शुरुआती चरण में इस पर जनता का काफी भरोसा था। वास्तव में, न्यायपालिका को सीबीआई को जांच के स्थानांतरण के कई अनुरोध मिलते थे क्योंकि यह निष्पक्षता और स्वतंत्रता का प्रतीक था।’’लेकिन अब ऐसा नहीं है। सीबीआई की विश्वसनीयता खोती जा रही है।

कार्यक्रम में दिखाया आईना

सीबीआई के 19वें डीपी कोहली स्मृति व्याख्यान में ‘‘लोकतंत्र: जांच एजेंसियों की भूमिका और जिम्मेदारियां’’ विषय पर बोलते हुए सीजेआई ने सीबीआई को आईना दिखाते हुए कहा कि जब CBI की बात आती है तो शुरुआती चरण में इस पर जनता का काफी  भरोसा था। वास्तव में, न्यायपालिका को सीबीआई को जांच के स्थानांतरण के कई अनुरोध मिलते थे क्योंकि यह निष्पक्षता और स्वतंत्रता का प्रतीक था। न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘जब भी नागरिकों को अपने राज्य की पुलिस के कौशल और निष्पक्षता पर संदेह हुआ, उन्होंने सीबीआई से जांच कराने की मांग की क्योंकि वे चाहते थे कि न्याय किया जाए। लेकिन अब ऐसा नहीं है। समय बीतने के साथ हर प्रतिष्ठित संस्था की तरह, CBI भी गहरी सार्वजनिक जांच के घेरे में आ गई है। इसके कार्यों और निष्क्रियता ने कुछ मामलों में इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।


सभी एजेंसियों की जांच में होता है अंतर

मुख्य न्यायाधीश रमण ने कहा, ‘‘इन दिनों ऐसे कई उदाहरण हैं जब एक मामले की कई एजेंसियों द्वारा जांच की जाती है, जिससे अक्सर सबूत कमजोर पड़ जाते हैं, बयानों में विरोधाभास आता है।

एक छत के नीचे आएं सभी जांच एजेसिंयां

CBI, गंभीर घोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO), प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी विभिन्न एजेंसियों को एक छत के नीचे लाने के लिए संयुक्त संस्था के गठन की तत्काल आवश्यकता है।’’ न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि निकाय को ‘‘एक कानून के तहत बनाया जाना चाहिए’’ जो स्पष्ट रूप से इसकी शक्तियों, कामों और कर्तव्यों को परिभाषित करे। 

उन्होंने कहा, ‘‘संस्था के प्रमुख को विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ प्रतिनियुक्तियों द्वारा सहायता प्रदान की जा सकती है। यह संस्था कार्यवाही के दोहराव को समाप्त करेगी।’’यह संस्थाओं को परेशान करने के उपकरण के रूप में दोषी ठहराए जाने से भी बचाएगा

सरकारें बदलती रहती थी

सीजेआई ने कहा कि आपको याद रखना होगा कि जनप्रतिनिधि और सरकारें समय के साथ बदलती रहती हैं जबकि आप स्थायी हैं. शासक बदलते हैं लेकिन प्रशासन और व्यवस्था स्थायीरहतीहै.उनके मुताबिक कि कोई भी संस्थान उनके नेतृत्व की वजह से अच्छा या बुरा हो सकता है. लेकिन कुछ अधिकारी बड़ा बदलाव ला सकते हैं.

बिहार सरकार पर उठा चुके हैं सवाल

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमणा उन लोगों में शामिल हैं. जो खुलकर अपनी बात रखते हैं। कुछ समय पहले उन्होंने शराबबंदी को लेकर बिहार सरकार के काम को लेकर सवाल उठा दिए थे। उन्होंने कहा था बिहार में शराबबंदी कानून में दूरदर्शिता नहीं दिखाई, जिससे कोर्ट में लाखों केस आ गए है। सीजेआई की बातों का परिणाम था कि सरकार ने शराबबंदी कानून में संशोधन कर दिया।

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