DESK. भारत का संविधान फिर से लिखने को लेकर कई बार राजनीतिक दलों की ओर से टीका टिप्पणी होते रहती है. लेकिन अब देश का संविधान फिर से लिखने का सुझाव मद्रास हाई कोर्ट ने दिया है. मद्रास हाईकोर्ट ने मेडिकल कोर्स में सरकारी स्कूलों के छात्रों को 7.5 फीसदी आरक्षण मुहैया कराने के मामले में सुनवाई करते हुए यह सरकार से सवाल किया.
हाई कोर्ट ने कहा कि क्यों न संविधान को फिर से लिखा जाए. हाईकोर्ट ने तमिलनाडु की पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों के छात्रों को आरक्षण देने के लिए बनाए गए कानून को चुनौती देने वाली विभिन्न जनहित याचिकाओं और रिट याचिकाओं पर सुनवाई की.
मुख्य न्यायाधीश एम. एन. भंडारी और न्यायमूर्ति डॉ भारत चक्रवर्ती की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि ऐसे आरक्षणों को लागू करने के लिए संभवत: संविधान को फिर से लिखना पड़ेगा. कुछ याचिकाओं में कानून की वैधता पर सवाल उठाया गया था, वहीं कुछ अन्य में इस लाभ को सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों को भी देने का अनुरोध किया गया था. कुछ अन्य याचिकाओं में इसमें निजी और अल्पसंख्यक संस्थानों में भी शामिल करने का अनुरोध किया गया था. अदालत ने मामले की सुनवाई 17 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी.
हालांकि कोर्ट की यह टिप्पणी मौखिक रही और इसे लेकर किसी प्रकार का आदेश जारी नहीं किया गया है. ऐसे में हाई कोर्ट के मौखिक वक्तव्य के बाद राजनीतिक प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकारी स्कूलों के छात्रों को 7.5 फीसदी आरक्षण मुहैया कराने के लिए निःसंदेह फिर से संविधान लिखा जाना चाहिए.