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निर्भया केस के दोषियों को अब 16 को नहीं होगी फांसी, फंसा यह पेंच

निर्भया केस के दोषियों को अब 16 को नहीं होगी फांसी, फंसा यह पेंच

NEWS4NATION DESK :  निर्भया गैंगरेप-मर्डर केस में फांसी का सामना कर रहे चार गुनहगारों को 16 दिसंबर को फांसी नहीं होगी। पहले तिहाड़ में तैयारियों से चर्चा थी कि इन्हें 16 दिसंबर को फांसी हो सकती है। लेकिन अब यह मामला टल गया है। दोषियों को अब 16 दिसंबर को फांसी नहीं होगी। 

दरअसल गैंगरेप-मर्डर के चारो दोषियों में से एक अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। अक्षय ने वेद, पुराण, गांधी और प्रदूषण तक का हवाला देकर फांसी के फैसले पर फिर से विचार की गुहार लगाई है। जिसपर सुनवाई करने को सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। 

बताया जा रहा है कि पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच 17 दिसंबर को सुनवाई करेगी। ऐसे में अब 16 दिसंबर को फांसी नहीं होगी। 

इधर  निर्भया की वकील सीमा कुशवाहा ने इस अपील को फांसी टालने की चाल बताया। वहीं निर्भया कांड की पैरोकार व पीपुल्स अगेंस्ट रेप इन इंडिया (परी) की संस्थापक योगिता भयाना दोषियों को 16 दिसंबर को ही फांसी देने, अन्यथा उन्हें इच्छामृत्यु की इजाजत दी जाने की मांग राष्ट्रपति से की गई है। उन्होंने इसे लेकर राष्ट्रपति को पत्र लिखकर गुहार लगाई है।

योगिता ने कहा कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में भी निर्भया कांड को चलते लगभग सात साल हो चुके हैं। लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला है। मुझे अपने ऊपर शर्म और बेबसी महसूस होती है।

योगिता का कहना है कि इससे पुराने और जघन्य मामलों में भी अब तक न्याय नहीं मिला है। आखिर बेटियां कैसे सुरक्षित रहेंगी। रेपिस्ट लगातार फांसी पर लटकाए जाएंगे तभी रेप बंद होगा। रेप के मामले में अंतिम फांसी 2003 में हुई थी। इसीलिए रेप की घटनाएं रुक नहीं रही हैं। डर खत्म हो गया है। यदि 16 दिसंबर को फांसी होगी तो निर्भया को हम सबकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

भयाना ने कहा है कि कहना है कि इस तरह के मामलों में न्याय मिलने का वक्त तय किया जाए। अगर फास्ट ट्रैक कोर्ट में सात साल का वक्त लगेगा तो सामान्य केस में क्या होगा। जबकि इस केस को पूरी दुनिया जानती है। पूरा देश पीड़ित परिवार के साथ इंसाफ के लिए खड़ा हुआ था।

बता दें योगिता इस केस में न्याय दिलाने के लिए शुरू से ही जुड़ी रही हैं। निर्भया आंदोलन के जरिए लगातार मृत्युदंड की मांग करती रही हैं।


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