शव को बनाया बंधक : सीएनएम हॉस्पिटल के कर्मियों ने परिजन-पत्रकारों से की बदसलूकी, लाश देने के एवज में मांगी इतनी बड़ी रकम

BHAGALPUR : भागलपुर जिला में प्राइवेट हॉस्पिटल की संख्या लगातार दिन व दिन बढ़ती जा रही है। वही प्राइवेट नर्सिंग हॉस्पिटल के द्वारा मरीज के परिजन के साथ भी दुर्व्यवहार घटना लगता बढ़ती जा रही है। वहीं एक मामला भागलपुर के बरारी थाना क्षेत्र के जीरो माइल के पास सीएनएम हॉस्पिटल की है। जहां एक मरीज की मौत हो जाने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव को बंधक बना लिया। इस दौरान शव सौंपने के लिए अस्पताल प्रबंधन इलाज में लगे पैसे जमा करने की मांग करने लगा। जिसके बाद परिजनों संग विवाद शुरू हो गया। बाद में मीडियाकर्मियों के पहुंचने के बाद परिजनों को सौंपा गया। इस दौरान अस्पतालकर्मियों ने पत्रकारों से भी बदसलूकी की।
झारखंड से आया था मरीज
इलाज के लिए आए झारखंड के गोड्डा जिला के कटवा गांव के रहने वाले समर यादव को लाया गया था। वहीं इलाज के दौरान उक्त मरीज की मौत दोपहर 12 बजे ही हो गई थी। इसके बाद हॉस्पिटल प्रबंधन के द्वारा मृतक के परिजनों से शव देने की एवज में बकाया 60 हजार रुपए की मांग की जा रही थी। वहीं मरीज के परिजन और हॉस्पिटल के प्रबंधक के साथ तू तू मैं मैं हो रही थी। बाद में परिजन के द्वारा स्थानीय मीडिया को इसकी सूचना दी वही मीडिया कर्मियों के पहुंचने पर अस्पताल प्रबंधन ने मृतक के परिजनों को देर शाम शव सौंपा। वही इस दौरान अस्पताल के कर्मियों के द्वारा मीडिया कर्मियों के साथ भी बदसलूकी करने का मामला प्रकाश में आ रहा है।इस दौरान सभी लोगो पर केस करने की धमकी भी दिया जा रही थीऔर वही साथ ही साथ खबर नही छापने की भी धमकी दी गई। वहीं एक दूसरे के बहस बाजी में तकरीबन घंटो तक बाद विवाद चलता रहा ।
बता दें कि कुछ साल पूर्व ही भागलपुर के ग्लोकल हॉस्पिटल का मामला सामने आया था । जिसमे वहा के कर्मियों द्वारा एक मरीज के परिजन से बदसलूकी के साथ साथ अनाफ सनाफ पैसे भी लिया गया था।जिसमे जिला के अधिकारियो द्वारा जांच कर करवाही भी की गई थी। हालाकि सीएनएम हॉस्पिटल के एडमिन के द्वारा बताया गया की इलाज के रुपए बकाया था। इसी को मांगा गया था।
नहीं रख सकते हैं शव
भारतीय चिकित्सा नियमों के मुताबिक किसी भी मरीज की मौत के बाद पैसों के लिए उसके शव को जबरन नहीं रखा जा सकता है। यह नियम सरकारी अस्पतालों के साथ प्राइवेट अस्पतालों में भी लागू होता है। अगर कोई अस्पताल ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।