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महावीर मंदिर न्यास समिति और हनुमानगढ़ी के बीच नहीं थम रहा विवाद, मंदिर में महंत नियुक्त करने की बात किशोर कुणाल ने बताया निराधार

महावीर मंदिर न्यास समिति और हनुमानगढ़ी के बीच नहीं थम रहा विवाद, मंदिर में महंत नियुक्त करने की बात किशोर कुणाल ने बताया निराधार

PATNA : श्री महावीर स्थान न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि कुछ समाचार माध्यमों से उन्हें जानकारी मिली है कि हनुमान गढ़ी के गद्दीनशीन महंत ने अयोध्या में रामानन्दी निर्वाणी अखाड़ा के पंचों की कथित रूप से कोई बैठक कर किसी व्यक्ति को महावीर मन्दिर का महंत घोषित कर दिया है। ये गतिविधियां पूरी तरह से निराधार और भ्रम फैलाने के उद्देश्य से की गई प्रतीत हो रही हैं। महावीर मन्दिर, पटना में न तो कोई महन्त होते हैं और न ही अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी से इस मन्दिर के प्रबंधन का कोई आधिकारिक संबंध है। 

आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि हनुमान गढ़ी के गद्दीनशीन महंत की इस गतिविधि का इतना ही महत्व है जैसे कि महावीर मन्दिर में किसी साधु को बैठा कर हनुमान गढ़ी का गद्दीनशीं महंत घोषित कर दिया जाए। अभी तो हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीं महंत की ओर से बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड में दिए गए आवेदन पर कोई सुनवाई ही नहीं हुई है। यदि बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड या किसी सक्षम न्यायालय द्वारा कोई आदेश पारित होता है तो और बात है। महावीर मंदिर पटना के प्रबंधन और संचालन के लिए श्री महावीर स्थान न्यास समिति वैध रूप में कार्यरत है। 

आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि हनुमानगढ़ी के पास कोई ऐसा दस्तावेज नहीं है जिससे उनका अधिकार बनता है। उन्होंने बताया कि 1948 ई. के पटना हाई कोर्ट के फैसले में महावीर मन्दिर का पूरा इतिहास लिखा हुआ है। इसमें कहीं भी हनुमानगढ़ी की चर्चा नहीं है। 1987 ई. में जब धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा महावीर मन्दिर के संचालन के लिए स्कीम बनी उसमें मन्दिर में कहीं भी हनुमानगढ़ी या महन्ती की चर्चा नहीं है। उस स्कीम के खिलाफ गोपाल दास जी पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गये। दोनों शीर्ष अदालतों से वर्तमान ट्रस्ट की सम्पुष्टि हुई और उसीके अनुसार ट्रस्ट काम कर रहा है।

 हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीं प्रेम दास सुप्रीम कोर्ट के ऊपर नहीं हैं और न ही उनके बयान से हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट सकता है।

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