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कैमूर में जिला प्रशासन उदासीन, धडल्ले से जलाई जा रही है पराली

कैमूर में जिला प्रशासन उदासीन, धडल्ले से जलाई जा रही है पराली

KAIMUR : कैमूर के जिला अधिकारी नवल किशोर चौधरी ने जिले के सभी किसानों को निर्देश दिया था की वे अपने खेत में पराली न जलाये.  उन्होंने पराली न जलाने पर कई फायदे भी मीडिया के कैमरा पर गिनाए थे. उसके बाद जिलाधिकारी ने बड़े किसान, हार्वेस्टर मालिक और पशुपालकों के साथ बड़े पैमाने पर बैठक बुलाई थी. बैठक के जरिए उन्होंने पराली न जलाने का आदेश जारी किया था. कहा था कि इस बार हार्वेस्टर से धान काटा जाएगा तो उस हार्वेस्टर के साथ रीपर मशीन भी चलेगा. रीपर मशीन के माध्यम से धान का डंठल छोटे-छोटे टुकड़ों में काटने के बाद वह भूसा बनेगा. वह मवेशी का चारा होगा. इससे किसानों को फायदा होगा. 

इस कार्य के लिए कृषि विभाग के किसान सलाहकार से लेकर जिला कृषि पदाधिकारी तक को लगाया गया है. ये लोग सभी किसानों के ऊपर नजर रखेंगे. जो भी किसान पराली अपने खेत में जलाएंगे. उस खेत मालिक को चिन्हित कर उनके ऊपर कानूनी कार्यवाही की जाएगी. उनको सरकारी योजनाओं से वंचित कर दिया जाएगा और उनके ऊपर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी. वैसे किसानों को 5 साल तक सरकारी योजनाओं से वंचित रखा जाएगा. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा था कि कृषि विभाग के साथ साथ कई टीम बनाया गया है. जो पराली जलाने वाले किसानों को चिन्हित कर कार्रवाई करेगी. लेकिन गौर करने की बात यह है कि आज कैमूर जिला में भभुआ प्रखंड, भगवानपुर प्रखंड, बेलाव प्रखंड, चैनपुर चांद प्रखंड, मोहनिया, रामगढ़ इत्यादि प्रखंडों में किसान बेधड़क होकर खुलेआम खेतों में पराली जला रहे हैं. 

लेकिन कृषि विभाग आज उदासीन है. वैसे किसानों को आज तक कृषि विभाग के द्वारा चिन्हित नहीं किया गया है और न ही उन लोगों के ऊपर किसी तरह की कार्रवाई की जा रही है. जिलाधिकारी का आदेश विभाग के उदासीनता के कारण हवा में उड़ गया है. आखिर इसमें किसकी लापरवाही मानी जाएगी. यह लोगों के समझ में नहीं आ रहा है. जिला अधिकारी के आदेश पर कृषि विभाग के कर्मी ध्यान नहीं दे रहे हैं. जिसके वजह से कैमूर जिले के किसान धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं.

 जिला अधिकारी के द्वारा बैठक बुलाने का कोई असर जिला के किसानों पर नहीं है. इससे साफ जाहिर होता है कि कृषि विभाग आज भी गहरी नींद में सोया हुआ है. जनता के बीच में यह सवाल बनकर घूम रहा है कि आखिर जिला अधिकारी के आदेश को कृषि विभाग के कर्मी क्यों नहीं मान रहे हैं. इसमें किसकी लापरवाही है जिसके वजह से वातावरण दूषित हो रहा है और किसान पराली जला कर घर में अमन चैन से आनंद उठा रहे हैं. उन्हें प्रशासन के आदेश का कोई भय नहीं है. 

कैमूर से देवब्रत की रिपोर्ट 

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