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प्रदेश के दूसरे जिलों के साथ नेपाल में भी फैलेगी मर्चा चूड़ा की खुशबू, उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन ने की है यह बड़ी तैयारी

प्रदेश के दूसरे जिलों के साथ नेपाल में भी फैलेगी मर्चा चूड़ा की खुशबू, उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन ने की है यह बड़ी तैयारी

BETIA : प.चंपारण के चनपटिया का सुस्वादिष्ट व सुगंधित मर्चा चूड़ा का हब बनाने की तैयारी की जा रही है। जिला प्रशासन द्वारा जीआई टैग की पहल होने से बढ़ेगी और महत्ता इस चूड़ा का , होगा किसानो को ज्यादा लाभ साथ ही अधिक उत्पादन के लिए और किसान आएंगे आगे , जाता है यहा का चूड़ा बिहार के सभी भागो मे साथ ही पड़ोसी देश नेपाल में भी।

मंकर संक्रांती का पर्व हो और दही चूड़ा तीलकूट का नाम आते ही बहुत से लोगो के मुह मे पानी आना स्वाभाविक है।जी हा एसी मान्यता है की हिन्दुओ का सभी शुभ काम जो एक माह तक नही होता खरवास का माह आ जाने से मकर संक्रांती के दिन से सभी शुभ काम शुरू हो जाता है और इस दिन दही चूड़ा के साथ तिलकुट खाने का रिवाज है। इसमे चनपटिया का मर्चा चूड़ा मिल जाये तो स्वाद और बढ़ जाता है। बिहार के प. चंपारण जिला के चनपटिया , सिकटा व मैनाटाड़ प्रखण्ड के कुछ ही इलाकों में होता है इस मर्चा धान का उत्पादन।

आसानी से पच जाता है मर्चा चूड़ा

मर्चा धान का सबसे खासियत है की इस धान मे काफी अच्छी सुगंध होती है और इससे सिर्फ चूड़ा ही बनता है। मर्चा चूड़ा काफी ही सुपाच्य और अच्छी होने के कारण इसका मांग बिहार सहित भारत के अन्य शहरों मे भी है। यह धान यहीं के मिट्टी में ही होता है। किसानों ने बताया कि इस धान का उत्पादन और कहीं नहीं होता है। इस चूड़ा का सबसे बड़ी विशेषता के कारण ही चूड़ा खाने वालो को अपनी तरफ आकर्षित करती है।

कम उपज सबसे बड़ी परेशानी

इस संबंध मे चनपटिया प्रखण्ड के किसान चुहड़ी निवासी अवध किशोर प्रसाद , घोघा निवासी शशीभूषण वर्मा , चनपटिया के ही किसान सूर्यकांत शुक्ला ने बताया की उपज के मामले मे मर्चा धान अन्य धानों की अपेक्षा कम होता है अन्य धान जहां एक कट्ठा मे तीन से चार मन उपज देता है वहीं यह मर्चा धान एक कट्ठा मे दो मन से ज्यादा नहीं देता है| उपज कम होने से और धान मे महक होने इसकी कीमत अन्य धानों से अधिक है। इसका सिर्फ चूड़ा ही बनाता है और इसका चूड़ा आफ़ी महंगा बिकता है। जहांअन्य चूड़ा 25 से 30 रुपया किलो बिकता है वही यह 90 से 110 रुपया प्रतिकिलो बिकता है।

सालों भर चलता है कारोबार

इसकी मांग सबसे ज्यादा मकर संक्रांती पर्व पर ज्यादा होता है। ऐसे यहां सालो भर मर्चा चूड़ा बनाया जाता है लोग अन्य पर्व त्योहारो पर भी अपने किसी मेहमानो के यहा भेजने के लिए खरीद करते है।इन किसानो ने बताया की इसका उत्पादन भी इसी क्षेत्र मे होता है क्योकी यहा की मिट्टी मे वह खासियत है जो धानों मे महक लाती है |

वहीं इस संबंध मे मर्चा चूड़ा बनाने वाले चनपटिया के कमल चूड़ा मिल के मालिक रामजी प्रसाद व कन्हैया चूड़ा मिल के मालिक हिमांशु मिश्रा ने बताया की मर्चा चूड़ा का डिमांड वैसे तो सालो भर रहता है पर मकर संक्रांती पर इसका डिमांड ज्यादा आता है। उन्होने बताया कि मर्चा धान यहीं प.चंपारण के चनपटिया प्रखण्ड और सिकटा व मैनाटाड के थरूहट इलाके मे होता है। इस धान की कीमत अन्य धानों से ज्यादा है। मर्चा धान से चूड़ा कई विधियों से गुजारने के बाद बनता है।

प्रशासन पेटेंट कराने की तैयारी में

अभी सुनने में आया है कि मर्चा चूड़ा को प. चंपारण जिला पेटेंट बनाने के लिए जियो टाइगिंग के लिए भेजा गया है।जियो टाइगिंग होने पर इसकी कीमत मे जहा बढ़ोतरी होगी वही अधिक कीमत मिलने पर किसान भी इसकी उत्पादन बढ़ाने के लिए और भी खेती करेंगे।इससे इसका व्यापार और अधिक बढ़ जाएगा।

दस हजार प्रति क्विंटल की दर

वही इस संबंध मे मर्चा चूड़ा के सप्लायर दिनेश प्रसाद ने बताया कि अभी इसकी कीमत 9 से दस हजार रुपया प्रति क्विंटल थोक भाव मे चल रहा है। इस चूड़ा का डिमांड सालों भर रहता है कि अपर मकर संक्रांती पर इसका डिमांड और बढ़ जाता है। यह चूड़ा सुगंधित चूड़ा होता है। जिसका डिमांड बिहार सहित देश के कई इलाको में है। किसानों को भी इस धान का कीमत अच्छा मिलता है। जीआई टैगिंग से इसका उत्पादन भी इस जिला मे और बढ़ेगा साथ ही अधिक से अधिक किसान भी इस धान का पैदावार करेंगे |



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