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देश के बच्चों को पानी भी नहीं पिला पा रही सरकार,शौचालय का पानी पीने को मजबूर मासूम

देश के बच्चों को पानी भी नहीं पिला पा रही सरकार,शौचालय का पानी पीने को मजबूर मासूम


DESK: अभी तक लॉकडाउन में पलायन कर रहे कई प्रवासी मजदूरों की कहानी आपने सूनी होगी और आपको उनपर दया भी आया होगा लेकिन आज हम आपको दो मासूमों ऐसी कहानी बता रहे जिसे सूनकर आप चौंक जाऐंगे या फिर आपको रौंगटे खड़े हो जाऐंगे.जो चीज आप सपने में कभी सोच भी नहीं सकते वो वाकया वास्तविकता में हुआ है.

खबर बताने से पहले मैं आपसे एक सवाल करना चाहती हुं.आप सोचिए आपको बहुत तेज प्यास लगी हो,इतनी तेज की आपको अगर पानी न मिले तो आप मर जाऐंगे.लेकिन पीने के लिए आपके सामने शौचालय का गंदा पानी हो तो क्या आप उसे पीऐंगे.पता नहीं आप क्या करेंगे लेकिन दो मासूम बच्चों के माता पिता ने अपने बच्चों की जान बचाने के लिए उन्हें शौचालय का पानी पिला दिया.वह सूरत से पटना तक शौचालय का गंदा, पीला पानी पिलाते हुए पटना आए.

हम सब जानते हैं कि हर रोज श्रमिक स्पेशल ट्रेन श्रमिकों को लेकर बिहार पहुंच रही है.कई सारे प्रवासी मजदूर अपने घर लौट रहे हैं उसी में से एक परिवार था जो आज सूरत में ट्रेन पर चढ़ा.परिजनों ने बताया  कि पहले तो सूरत में कई दिनों तक वह भूखे पेट रात बिताए.इसके बाद वह ट्रेन से जब निकले तो जिंदगी का सबसे बुरा दिन देखना पड़ा. सलाउद्दीन का कहना है कि सूरत से ट्रेन चली तो बोगी में बहुत भीड़ थी.एक दम मारा मारी की स्थिति थी.छोटे बच्चों को लेकर संक्रमण के इस काल में घर तक जाना बड़ी चुनौती थी.भीड़ के कारण डर लग रहा था कि बच्चे कैसे संक्रमण से बच पाएंगे.ट्रेन में भी न तो खाना की व्यवस्था थी और न ही पानी की.सफर लंबा था ऐसे में बच्चों को प्यास लगी.लेकिन बेबस और मजबूर मोहम्मद सलाउद्दीन के पास पानी पिलाने का कोई साधन नहीं था.वहीं बच्चे पानी पीने को लेकर जिद्द करने लगे और एक वक्त ऐसा आया कि अगर उन्हें पानी नहीं मिलता तो उनकी जान भी जा सकती थी.इसलिए मां-बाप ने शौचालय का ही पानी पिला दिया.

आपको बता दें बिहार के सुपौल में रहने वाले मोहम्मद सलाउद्दीन सूरत में साड़ी की फैक्ट्री में काम करते हैं.वह परिवार के साथ वहीं रहते हैं.गांव के ही दो चार और परिवार साथ में रहता है और साड़ी की कंपनी में काम करता है.

हालांकि मजदूरों के वापसी के दौरान समस्या या मर्माहत करने वाली यह कोई नई खबर नहीं है.हर दिन आप ऐसी कई खबरों को देखते होंगे.मेरा सवाल बस यह कि आज लॉकडाउन का 62वां दिन है.प्रवासी मजदूरों के पलायन को लेकर पहले ही सरकार की किरकिरी हो चुकी है.लेकिन फिर भी सरकार की तरफ से समुचित व्यवस्था नहीं की जा रही.आखिर क्यू,उन मासूम बच्चे का क्या दोष है.वो क्यू शौचालय का पानी पीने को बेबस है सिर्फ इसलिए की वो गरीब हैं.अगर सचुमच ऐसा है तो सरकार बेकार है.ऐसी सरकार को बेकार नहीं तो और क्या कहेंगे जो अपने देश के बच्चों को शौचालय का पानी पीने के छोड़ देती हो उन्हें हम और क्या कहें.






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