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नीतीश और आरसीपी की बढ़ती दूरी : केंद्र में मंत्री बनने से लेकर यूपी चुनाव बन गया सबसे कारण, अब पार्टी में क्या होगी भूमिका

नीतीश और आरसीपी की बढ़ती दूरी : केंद्र में मंत्री बनने से लेकर यूपी चुनाव बन गया सबसे कारण, अब पार्टी में क्या होगी भूमिका

DESK : कभी जदयू में नीतीश कुमार के बाद नंबर दो की हैसियत रखनेवाले आरसीपी सिंह का राज्यसभा से टिकट कट गया है। इसके साथ ही अब यह साफ जाहिर हो गया है कि अब नीतीश कुमार और आरसीपी के बीच के रिश्तों में वैसी मधुरता नहीं रही, जो एक साल पहले नजर आती थी। जिस तरह आरसीपी ने पार्टी के विरुद्ध जाकर फैसले लिए, उसके बाद वह न सिर्फ नीतीश कुमार बल्कि पार्टी के दूसरे नेताओं से दूर होते चले गए। 

एक साल पहले तक पार्टी में सिर्फ तीन नेताओं की तूती बोलती थी। इनमें नीतीश  कुमार के साथ ललन सिंह और तीसरा नाम आरसीपी का था। लेकिन नई दिल्ली का सफर तय करते करते आरसीपी पटना से बिल्कुल दूर होते चले गए। यहां सिर्फ नीतीश कुमार और ललन सिंह रह गए। दोनों के बीच रिश्ते बेहतर होते गए और आरसीपी सिर्फ एक केंद्रीय मंत्री बन कर रह गए। पार्टी में उनकी कोई बड़ी भूमिका नहीं रही।

यूपी चुनाव ने किया बड़ा नुकसान

पार्टी में आरसीपी की हैसियत में आए कमी और टिकट कटने का एक बड़ा कारण यूपी चुनाव को भी माना जा सकता है। जिसे तरह से यूपी चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन करने को लेकर आरसीपी ने अंतिम समय तक पार्टी को भ्रम  की स्थिति में रखा, उससे भी उन्हे बड़ा नुकसान हुआ।  पार्टी में उनके खिलाफ नाराजगी देखी जा रही थी। खुद ललन सिंह अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके थे। अब बारी थी कि पार्टी की तरफ से सिर्फ नीतीश कुमार के इशारे का। जो कि राज्य सभा चुनाव ने दिया और पार्टी ने आरसीपी को राज्यसभा में तीसरी बार भेजने से इनकार कर दिया।

भाजपा का गुणगान करने का नतीजा

पिछले कुछ समय से आरसीपी जदयू में कम भाजपा नेताओं के ज्यादा करीब नजर आ रहे थे। कई मंचों से वह भाजपा की नीतियों की तारीफ कर चुके थे। यहां तक जदयू की मीटिंग में भी उन्होंने भाजपा के संगठनात्मक ढांचे की प्रशंसा की थी, उन्होंने कहा  था कि बेहतर और अनुशासन के कारण भाजपा महज चार दशक में  दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई। भाजपा के साथ बेहतर होते रिश्ते भी कहीं न कहीं आरसीपी के टिकट कटने का बड़ा कारण बने।

अब पार्टी में सिर्फ कार्यकर्ता

राज्यसभा से टिकट कटने के बाद अब केंद्रीय मंत्री के पद से आरसीपी को इस्तीफा देना पड़ सकता है। हालांकि प्रधानमंत्री चाहें तो वह छह माह तक मंत्री बने रह सकते हैं। लेकिन इतने समय में उन्हें दोनों सदनों में से किसी एक की सदस्यता हासिल करनी होगी। वहीं बात अगर पार्टी में उनकी भूमिका की करें तो फिलहाल उनके पास कोई पद नहीं है। कभी पार्टी के अध्यक्ष रहे आरसीपी आज के समय में सिर्फ एक सदस्य बन कर रह गए हैं। अब पार्टी में उनकी नई भूमिका क्या होगी, इसका फैसला खुद नीतीश कुमार तय करेंगे

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