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कितना बदल गया संसार! पति के अंतिम संस्कार के लिए दर-बदर भटकती रही बेबस बीवी, अपनों ने मोड़ा मुंह, तो गैरों का मिला सहारा

कितना बदल गया संसार! पति के अंतिम संस्कार के लिए दर-बदर भटकती रही बेबस बीवी, अपनों ने मोड़ा मुंह, तो गैरों का मिला सहारा

BEGUSARAI: देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान..... गाने की यह लाइनें इस कोरोनाकाल में एकदम सटीक बैठती हैं. कोरोनाकाल में सांसों की डोर के साथ साथ रिश्तों की डोर भी टूट रही है. कोरोना संक्रमित व्यक्ति को समाज अपनाने से इनकार कर रहा है. कोरोना संक्रमित के शव लेने से अपने भी मना कर दे रहे हैं. इसी तरह का रिश्तों को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है बेगूसराय में, जहां कोरोना संक्रमित पति का शव का क्रियाकर्म करने के लिए 6 दिनों तक इंतजार करना पड़ा. इसमें भी चौंकाने वाली बात यह कि अंतिम संस्कार पत्नी को ही करना पड़ा, परिवार का कोई सदस्य आगे नहीं आया.


दरअसल मुंगेर जिले के रामनगर थाना के बड़ैचक पाटन निवासी विकास कुमार की तबीयत खराब थी. पत्नी कंचन देवी 13 मई की सुबह उसे लेकर बेगूसराय सदर अस्पताल पहुंची. कोरोना संक्रमित विकास की 13 मई की रात ही मृत्यु हो गई. कंचन के मायके से उसकी मां और दो पड़ोसी आए थे. मौत की खबर सुनते ही दोनों पड़ोसी भाग खड़े हुए. अस्पताल में केवल कंचन और उसकी मां बचे. मौत से घबराई कंचन जब अपने ससुरालवालों से मदद मांगने पाटन पहुंची, मगर सभी ने मुंह मोड़ लिया. इसके बाद कंचन अपने गांव पतैलिया वालों से मदद मांगने पहुंची. गांव वालों को पहले ही पता चल गया था कि उसके पति की मौत कोरोना की वजह से हुई है. इस बात से घबराए गांव वालों ने कंचन को जैसे ही गांव में घुसते देखा, उन्होंने उसे वहीं रोक दिया. गांवावलों ने जबरन स्कूल में उसे और उसकी मां को क्वॉरेंटाइन कर दिया. उन्होंने मां बेटी की एक भी मिन्नतें और गुहार नहीं सुनी और मजबूरन दोनों को 6 दिन तक अस्पताल क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहना पड़ा.

कंचन और मीना ने किसी तरह 6 दिन वहां काटे और 18 मई की सुबह वह सदर अस्पताल पहुंची. सदर अस्पताल में कंचन अपने पति की शव की तलाश करने लगी. काफी खोजबीन के बाद उसे विकास का शव पोस्टमार्टम रूम में पड़ा मिला. प्रशासन को जब इस घटना की जानकारी हुई तो उन्हें पता चला कि मृतक को कंधा देने के लिए मां बेटी के अलावा कोई नहीं है. इसपर सदर एसडीओ के निर्देश पर बरौनी सीओ सुजीत सुमन घाट पहुंचे उनके साथ कई अन्य लोग भी आए थे. इन के सहयोग से अंतिम संस्कार करवाया गया. कंचन ने ही पथराई आंखो और दिल पर भारी बोझ के साथ पति का क्रिया कर्म किया.

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