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प्रेम विवाह में हत्या करनेवालों की उम्र कैद की सजा को हाईकोर्ट ने रखा बरकरार, नीचली अदालत के फैसले पर लगाई मुहर

प्रेम विवाह में हत्या करनेवालों की उम्र कैद की सजा को हाईकोर्ट ने रखा बरकरार, नीचली अदालत के फैसले पर लगाई मुहर

PATNA : पटना हाई कोर्ट ने प्रेम विवाह किये जाने से नाराज हत्या किये जाने पर निचली अदालत से मिली आजीवन कारावास की सजा में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने सीवान के निचली अदालत से मिली आजीवन कारावास की सजा में हस्तक्षेप नहीं करते हुए सभी अपील को खारिज कर दिया। जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस जितेंद्र कुमार की खंडपीठ ने सभी अपील को खारिज कर दिया।

14 नवम्बर 2015 को हुई हत्या मामले में सीवान के निचली अदालत ने 9 अप्रैल 2018 को सभी तीनों अभियुक्तों को दोषी मान आजीवन कारावास और एक हजार रुपये का अर्थदंड की सजा दी। निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में आपराधिक अपील दायर कर चुनौती दी थी।

गौरतलब है कि 13 नवम्बर 2015 को शाम साढ़े चार बजे सूचक अपने भाई राजेश सिंह के साथ हार्डवेयर की दुकान की छत पर खड़ा होकर बात कर रहा था।  उसके पिता प्रेमचंद सिंह दुकान के सामने खड़े होकर सब्जी विक्रेता से बात कर रहे थे। इसी बीच काले रंग की पैशन प्रो मोटरसाइकिल पर अभियुक्त केदार सिंह, हरण सिंह और धनंजय सिंह आये। केदार सिंह मोटरसाइकिल चला रहे थे और मोटरसाइकिल के पीछे दो अभियुक्त हरण सिंह और धनंजय सिंह बैठे थे। 

मोटरसाइकिल रोकने के बाद तीनों अभियुक्तों ने कमर से पिस्तौल निकाल कर उसके पिता के सिर पर गोली मार दी और भाग गये। एक अन्य मोटरसाइकिल पर संदिग्ध परिस्थितियों में तीन अन्य व्यक्तियों को भी देखा गया था। गोली की आवाज सुन सूचक अपने भाई के साथ रोते हुए अपनी दुकान की छत से नीचे आया। लेकिन तब तक सभी आरोपी भाग गये थे। गोली लगने से उसके पिता घायल अवस्था में जमीन पर गिरे पड़े थे।

 इसके बाद सूचक ने अपनी स्कार्पियो गाड़ी से अपने पिता को रघुनाथपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गये। जहां से उसे सदर अस्पताल, सीवान रेफर कर दिया गया। लेकिन सीवान ले जाने के दौरान रास्ते में ही उनके पिता की मौत हो गई और सीवान के डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। 

सूचक का कहना था कि एक वर्ष नौ माह पूर्व सूचक ने आरोपी धनंजय सिंह की पुत्री से प्रेम विवाह किया था और तब से वे लोग जान से मारने की धमकी दे रहे थे।कहते थे कि “तुमने मेरी इज्जत से खेला है, मैं तुम्हारे खून से खेलूंगा”।

प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस अनुसन्धान शुरू की और जांच के बाद पुलिस ने तीनों अपीलकर्ताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 व 34 और आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत 15 अगस्त 2016 को आरोपपत्र कोर्ट में समर्पित किया।ट्रायल कोर्ट ने तीनों अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 302 व 34 और आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत दोषी ठहराते हुये आजीवन कारावास की सजा दी। 

सजा के खिलाफ अपील दायर की गई।हाई कोर्ट ने आवेदकों सहित सूचक एंव एपीपी की ओर से दलील सुन निचली अदालत के फैसले में किसी प्रकार का कोई अवैधता नहीं पाते हुये तीनो अपील को खारिज कर दिया।

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