KISHANGANJ : किशनगंज लोकसभा सीट का चुनावी समर इस बार भी दिलचस्प होने जा रहा है। यह सीट जेडीयू और कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा बन गई है। कांग्रेस के सामने यह सीट बचाने की चुनौती है तो वहीं जदयू सरकार के विकास के बल पर नैया पार लगाने की जुगत में है। इधर इनकी राह को कठिन करने के लिए एआईएमआईएम प्रत्याशी भी मुकाबले को रोचक बनाने में लगे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार एम जे अकबर, सैयद शहाबुद्दीन जैसे कद्दावर नेता को सांसद की राह दिखानेवाले इस लोकसभा की जनता का मिजाज अन्य लोकसभा क्षेत्रों से बिल्कुल अलग है। इस लोकसभा क्षेत्र में पूर्व में हुए अधिकांश चुनाव में केन्द्र की सत्ता के विपरीत ही प्रत्याशी को जीत मिली है। यहां चुनाव से एक दिन पहले मुस्लिम वोटों की गोलबंदी होती है। जिस तरफ इनका झुकाव हुआ उस प्रत्याशी की जीत तय है।
साढ़े 16 लाख वोटरों वाली इस सीट पर 70 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं यहां महज 30 प्रतिशत ही हिन्दू मतदाता हैं। ऐसे में यहां मुसलमान वोटर जिसके पक्ष में वोट करते है जिस उसी की होती है। कांग्रेस का गढ़ मानी जानेवाली इस सीट पर वर्ष 2009 व 2014 के चुनाव में स्थानीय सूरजापुरी बिरादरी से आनेवाले मौलाना असरारुल हक कासमी ने ही कांग्रेस से जीत का ताज पहना था। लेकिन इस बार का चुनाव कांग्रेस के लिए आसान नहीं लग रहा है।