बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

इस्लाम को हरा आतंक कहने वाली BJP महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव रहीं एल. विक्टोरिया गौरी ने ली न्यायाधीश की शपथ, नियुक्ति का हुआ विरोध

इस्लाम को हरा आतंक कहने वाली BJP महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव रहीं एल. विक्टोरिया गौरी ने ली न्यायाधीश की शपथ, नियुक्ति का हुआ विरोध

DESK. एक दौर में भाजपा की नेता रही एल. विक्टोरिया गौरी अब जज बन गई हैं. उनके जज बनाए जाने का भारी विरोध भी हुआ है. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति के विरोध में दायर याचिका को सिरे से ख़ारिज कर दिया जिसके बाद एल. विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट की जज के रूप में शपथ दिलाई गई. 

दरअसल, विक्टोरिया गौरी के भाजपा राष्ट्रीय महिला मोर्चा की महासचिव रही हैं. इतना ही नहीं उनके कुछ पुराने बयान ऐसे रहे हैं जिसमें उन्होंने इस्लाम को हरा आतंक और इसाई को सफेद आतंक कहा था. उन्होंने वर्ष 2018 में ये बयान दिया था जिसके बाद अब उनके जज बनाए जाने का विरोध शुरू हुआ. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को ख़ारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि मेरा मानना है कि गौरी के नाम पर फैसला लेने से पहले कॉलेजियम ने निश्चित तौर पर इस विषय पर विचार किया होगा. 

गौरी की नियुक्ति के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर जस्टिस संजय खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की विशेष पीठ ने कहा, 'हम रिट याचिका पर विचार नहीं करने जा रहे हैं।' सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिककर्ताओं की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन से कहा कि पात्रता और उपयुक्तता के बीच अंतर है। इस पर रामचंद्रन ने संविधान के अनुच्छेद-217 का जिक्र किया, जो हाईकोर्ट के न्यायाधीश की नियुक्ति और कार्यालय की शर्तों से संबंधित है। उन्होंने दलील दी कि एक व्यक्ति जो संविधान के आदर्शों और बुनियादी सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है, वह शपथ लेने के अयोग्य है, क्योंकि शपथ संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा की बात करती है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने रिकॉर्ड पर कुछ सामग्री रखी है और इन चीजों को कॉलेजियम के सामने भी रखा जाना चाहिए, जिसने हाईकोर्ट की न्यायाधीश के रूप में गौरी के नाम की सिफारिश की थी।

वहीं, याचिकाकर्ता के वकीलों-अन्ना मैथ्यू, सुधा रामलिंगम और डी नागसैला ने अपनी याचिका में गौरी द्वारा मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ की गई कथित घृणास्पद टिप्पणियों का उल्लेख किया था। याचिका में कहा गया था, 'याचिकाकर्ता न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए ‘गंभीर खतरे' को देखते हुए चौथे प्रतिवादी (गौरी) को हाईकोर्ट की न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने से रोकने के वास्ते उचित अंतरिम आदेश जारी करने की मांग कर रहे हैं।'


Suggested News