DESK : आमतौर गुटखा का सेवन करना जान के लिए खतरनाक होता है, लेकिन इसी गुटखे के सेवन की आदत के कारण एक मजदूर की जान बच गई। रविवार को यूपी के कौंशाबी पटाखा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट में शिकार लोगों में एक मजदूर ही ऐसा था, जो इसकी चपेट में नहीं आया था। वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि ब्लास्ट के दौरान वह गुटखा चबा रहा था और ब्लास्ट से कुछ देर पहले वह उसे थूकने के लिए फैक्ट्री से बाहर आया था। बता दें कि इस फैक्ट्री में 16 लोग काम कर रहे थे। जिसमें सात की मौत हो गई थी, जबकि आठ गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
आंखों के सामने जमींदोज हो गई फैक्ट्री
सुरक्षित बचे शख्स ने खुद के बचने की कहानी बताई है. कौशांबी हादसे के चश्मदीद नरेश पटेल ने बताया कि फैक्ट्री में कुल 16 लोग काम कर रहे थे. मैं गुटखा खाया हुआ था. कुल्ला करने के लिए फैक्ट्री के बाहर परिसर में निकला था. जनरेटर चल रहा था. जनरेटर की चिंगारी से तेज धमाका हुआ. जिससे फैक्ट्री जमीदोज हो गई. मुझे छोड़कर सभी 15 लोग मलबे में दब गए. एक घंटे तक मैं भी अंदर घायल हालत में जमीन पर पड़ा रहा. एक घंटे बाद रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. जिसके बाद सभी को बाहर निकाला गया.
मृतकों को दो-दो लाख का मुआवजा
हादसे के बाद सरकार ने मृतक के परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपए की आर्थिक मदद किए जाने की घोषणा की है. इसके साथ ही अन्य योजनाओं से लाभाविन्त किए जाने का आश्वासन दिया गया है. घटना कोखराज थाना इलाके के भरवारी की है. यहां रविवार की दोपहर पटाखा फैक्ट्री में तेज धमाका हुआ था.
इन लोगों की हुई मौत
सभी घायलों को प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल में एडमिट कराया गया है. जहां उनकी हालत नाजुक बनी है. मरने वालो में 50 वर्षीय अशोक कुमार, 25 वर्षीय शिवनारायण, 19 वर्षीय शिवाकांत अमहा गांव के रहने वाले थे. जबकि 18 वर्षीय जयचंद्र बैरिहा गांव का रहने वाला था। पटाखा फैक्ट्री संचालक 35 वर्षीय शाहिद अली खल्लाबद का रहने वाला था. जबकि 40 वर्षीय हरिलाल, 45 वर्षीय सोनेलाल चमंधा गांव का रहने वाले थे.