News4nation desk : कोरोना ने आज पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया है। सड़कों पर छोटे-छोटे बच्चों के साथ चलता पूरा घर परिवार। इन्हें न तो भूख की चिंता है और न ही प्यास की। बस किसी तरह से वहां पहुंच जाने के लिए बेचैन है जिसे बरसों पहले पेट के लिए छोड़ आए थे।
सड़कों पर बेहाल लोगों अपनी जो बेवसी बयां कर रहे है उसे जानकर मजबूत से मजबूत कलेजे वालों का दिल से एक आह निकले बिना नहीं रह पायेगी। भूख की तड़प, किसी अपने की मौत का गम, अंधेरे भविष्य का डर लिए घर की ओर लौटने को बेबस इन कामगारों के चेहरों पर आसानी से देखी जा सकती है।
बड़े ही दुख भरे शब्दों में यह मजदूर कहते है कि दो जून की रोटी की खातिर घर छोड़ते वक्त यह कभी सोचा भी नहीं था कि जिंदगी इस कदर खानाबदोश हो जाएगी कि खाने के लिए हाथ फैलाना पड़ेगा। मजदूरों के इस हुजूम में अपने पूरे परिवार के साथ पैदल और ठेले पर अपने घर का पूरा सामान और बच्चों को लादकर बिहार के लिए निकल पड़ा। कुछ ऐसे भी है जिन्होंने साइकिल से घर की राह पकड़ ली।
पूछने पर इनका बस एक ही जवाब है बस किसी तरह से घर पहुंच जाए। अब कभी घर से इतनी दूर नहीं जायेंगे। जो भी होगा अब अपने घर और अपनी मिट्टी में होगा। परदेश में भूखों मरने से अच्छा है अपनों के बीच अपनी मिट्टी में ही मरें।