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राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई आज, सुप्रीम कोर्ट पर पूरे देश की टिकी नजर

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई आज, सुप्रीम कोर्ट पर पूरे देश की टिकी नजर

NEWS4NATION DESK :  आज पूरे देश की नजर सुप्रीम कोर्ट पर रहेगी। सुप्रीम कोर्ट में लंबित अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर सुनवाई की उम्मीद जगी है। आज शुक्रवार (4 जनवरी) को कोर्ट में मामला लगा है जिसमें मुख्य अपीलों पर सुनवाई की तिथि तय हो सकती है। सुनवाई में अयोध्या की जमीन के विवाद पर फैसला होना है। चीफ जस्टिस रंजन गोगई और एसके कॉल की बेंच में इस मुद्दे पर सुनवाई चल रही है। उम्मीद की जा रही है कि आज शुक्रवार को होने वाली सुनवाई में अयोध्या केस के लिए नई बेंच का गठन हो सकता है।
 
बीते वर्ष 2018 के अक्टूबर महीने में सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मुद्दे पर सुनवाई हुई थी। उस दौरान कोर्ट में अयोध्या विवाद पर तीन मिनट सुनवाई हुई थी। उस सुनवाई में कोर्ट ने राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद भूमि के मालिकाना हक विवाद मामले में लगाई गई दीवानी याचिका को अगले साल जनवरी के पहले हफ्ते तक टाल दिया था। 

पीएम ने कहा था अध्यादेश नहीं लाएगी सरकारी

आज होने वाली सुनवाई पर सबकी निगाहें लगी हैं क्योंकि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मामला कोर्ट में लंबित रहने तक अयोध्या मसले पर अध्यादेश नहीं लाया जाएगा। दूसरी ओर संघ परिवार और साधू समाज सुनवाई में हो रही देरी के आधार पर अयोध्या में मंदिर बनवाने के लिए अध्यादेश लाने की मांग पर अड़ा है। 

संघ का अपना मत 

नागपुर में एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि हमारी भगवान राम में आस्था है और अयोध्या में राम मंदिर ही बनना चाहिए ऐसा मजबूत विश्वास है। आपको बता दें कि भैयाजी जोशी ने राम मंदिर को लेकर पीएम मोदी के बयान के बाद कहा था कि आरएसएस अपने रवैये पर अडिग है कि अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए कानून पारित किया जाए। उन्होंने कहा कि उन्हें पीएम मोदी के बयान के बारे में नहीं पता है, लेकिन देश में हर कोई चाहता है कि राम मंदिर का निर्माण हो। 

बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस विवाद में दायर चार दीवानी वाद पर अपने फैसले में 2.77 एकड़ भूमि का सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच समान रूप से बंटवारा करने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 29 अक्टूबर को कहा था कि यह मामला जनवरी के प्रथम सप्ताह में उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगा जो इसकी सुनवाई का कार्यक्रम निर्धारित करेगी। बाद में अखिल भारत हिन्दू महासभा ने एक अर्जी दायर कर सुनवाई की तारीख पहले करने का अनुरोध किया था परंतु न्यायालय ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था। न्यायालय ने कहा था कि 29 अक्टूबर को ही इस मामले की सुनवाई के बारे में आदेश पारित किया जा चुका है।

इससे पहले 27 सितंबर, 2018 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत से 1994 के एक फैसले में की गयी टिप्पणी पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास नये सिरे से विचार के लिये भेजने से इंकार कर दिया था। इस फैसले में टिप्पणी की गयी थी कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। अयोध्या प्रकरण की सुनवाई के दौरान एक अपीलकर्ता के वकील ने 1994 के फैसले में की गयी इस टिप्पणी के मुद्दे को उठाया था।

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