News4nation desk : लॉकडाउन की वजह से पिछले 51 दिनों से परदेश में फंसे लोग इस आस के साथ कर्ज लेकर अपने राज्य वापस लौटे कि वे अपने घर में होगें। अपने राज्य की सरकार उनके पहुंचते ही घर तक जाने की सुविधा उपलब्ध कराई होगी। लेकिन अपने राज्य में वापस पहुंचने के बाद राज्य सरकार की उदासीनता ने उनके आंखों मे आंसू ला दिये।
दरअसल लॉकडाउन के 51 दिन बाद जब दिल्ली से ट्रेन की शुरुआत हुई तो लोग किसी तरह कर्ज लेकर महंगी रेल टिकट खरीद अपने परिवार के साथ झारखंड के लोग राजधानी एक्सप्रेस से रांची पहुंचे। रांची स्टेशन पर उतरते ही उन्हें भरोसा हुआ कि अब घर पहुंच गए। लेकिन स्टेशन के बाहर निकलते ही जिला प्रशासन की ओर से की गई व्यवस्था से मायूस यात्री सड़क किनारे निढाल होकर बैठ गए।
स्टेशन के बाहर उनके गृह जिले तक जाने के लिए बस या अन्य कोई व्यवस्था नहीं थी। वहीं प्राइवेट वाहन चालक मनमाना किराया मांग रहे थे, जिस पर जिला प्रशासन के अधिकारियों का कंट्रोल नहीं था। इसका खमियाजा यात्रियों को उठाना पड़ा।
रांची से महज 100-150 किमी के लिए निजी वाहन वाले 10-20 हजार रुपए किराया मांग रहे थे। किसी तरह से कर्ज लेकर अपने परिवार के साथ रांची पहुंचे मजदूरी करने वाले यात्रियों के होश उड़ गए। वे मायूस होकर स्टेशन के बाहर सड़क किनारे परिवार के साथ बैठ गए।
मुसीबते य़हीं खत्म नहीं हुई। रांची में कल गुरुवार को गर्मी भी अपने चरम पर था। तकरीबन 36 डिग्री तापमान में सड़क पर बैठे बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग की स्थिति खराब होने लगी, क्योंकि ना तो पीने के लिए पानी मिल रहा था और ना ही खाना।
मुसीबत के मारे इन यात्रियों का कहना था कि सरकार कह रही है अपने झारखंड वासियों को हवाई जहाज से बुलाएंगे, यहां तो एक बोतल पानी और खाना तक नहीं दे पाई। यह कैसी व्यवस्था। स्टेशन पर प्राइवेट वाहन की बुकिंग के लिए कोई सूचना नहीं लगी थी कि किस जिले के लिए कितना भाड़ा लिया जाएगा।
मनमाने तरीके से भाड़ा वसूला गया। जो सक्षम थे, उनकी विवशता का फायदा उठाया। जो असमर्थ थे, वैसे यात्री सड़क किनारे बैठ कर सरकार को कोस रहे थे।
बता दें सुबह 10 बजे दिल्ली से रांची राजधानी ट्रेन पहुंची। इसमें 940 यात्री आए थे। वहीं शाम को रांची से दिल्ली 940 यात्री रवाना हुए।