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बिहार में सच साबित हो रही है फिल्म 'पुष्पा' की कहानी, VTR के बेशकीमती लकड़ियों पर तस्करों की नजर

बिहार में सच साबित हो रही है फिल्म 'पुष्पा' की कहानी, VTR के बेशकीमती लकड़ियों पर तस्करों की नजर

BETIA : भारत नेपाल सीमा पर स्थित बिहार के इकलौते प.चंपारण जिला का वाल्मिकीनगर टाइगर रिजर्व (VTR) में वन्य एवम पर्यावरण विभाग जहां बाघों की संख्या बढ़ाने की जद्दोजहद कर रहा है। वहीं वन विभाग इस अभ्यारण्य की बेशकीमती लकड़ीयों औऱ पेड़ पौधों को तस्करों से बचाने की कवायद में जुटा है। 

वाल्मिकीनगर टाइगर रिजर्व के जंगलों से लकड़ी चुराने वाले इन ‘पुष्पा‘ यानी तस्करों को रोकने के लिए विशेष तैयारी की जा रही है। इस काम में वन विभाग की मदद कर रहे हैं चंदन तस्कर वीरप्पन को ठिकाने लगाने वाली टीम के मेंबर रहे STF जवान सुरेश जे. ने इन दिनों 940 वर्ग किलोमीटर इलाके में फैले यूपी औऱ नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मिकीनगर टाइगर प्रोजेक्ट के वनकर्मियों को लकड़ी तस्करों से निपटने का गुर सिखा रहे हैं। इन जंगलों में रहने वाले वन्यजीवों और वन संपदाओं को तस्करी औऱ तस्करों की टेढ़ी नज़र से बचाने के लिए 600 वनकर्मियों को तैनात किया गया है, जिन्हें आज एसटीएफ के रिटायर्ड जवान सुरेश जे. ट्रेनिंग दे रहे हैं। 

बताया जा रहा है कि वीटीआर में पिछले छह महीनों के दौरान लकड़ी तस्करी के मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है. 50 से अधिक तस्करी के मामले सामने आने के बाद वीटीआर प्रशासन अलर्ट मॉड में हो गया है ख़ुद इसकी निगरानी अब निदेशक व CF डॉ नेशामणि के कर रहे हैं. इसलिए वनकर्मियों को तस्करों से निपटने के लिए तैयार किया जा रहा है, जिसकी जवाबदेही तमिलनाडु के सेवानिवृत्त एसटीएफ जवान सुरेश जे. को सौंपी गई है. वे बीते पांच दिनों से वाल्मीकिनगर में 600 वनकर्मियों की टीम को वन एवं वन्य जीवों की सुरक्षा के साथ आपातकाल में खुद की सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं । सुरेश जे. सरकार की पहल पर चौथी बार वाल्मीकिनगर आए हैं. इससे पूर्व वे 60-60 वनकर्मियों की तीन टोलियों को प्रशिक्षित कर चुके हैं। तमिलनाडु एसटीएफ के जवान सुरेश जे. वीरप्पन के खात्मे के लिए गठित स्पेशल टास्क फोर्स का हिस्सा थे इस क्रम में वे करीब तीन महीने तक जंगल में रहे, इसलिए उन्हें तस्करों से निपटने का अनुभव प्राप्त है। 

ट्रेनिंग के दौरान सुरेश जे. जंगल सर्वाइवल कॉम्बैट, जंगलों में वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ-साथ वनों की बेशकीमती लकड़ियों की तस्करी रोकने, विपरीत परिस्थितियों में जंगल अंदर जूझते हुए कर्तव्य निर्वहन करते हुए वन तस्करों से कैसे निपटा जाए, इसकी ट्रेनिंग दे रहे हैं। इससे जंगल में जानवरों के शिकार समेत इस तरह की अन्य वारदातों पर भी रोक लगेगी । 

सुरेश जे. ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि वे तमिलनाडु के सत्यमंगलम टाइगर प्रोजेक्ट में काम कर चुके हैं. लेकिन वीटीआर के साथ उसकी कोई समानता नहीं है. दोनों जंगलों की भौगोलिक संरचना अलग-अलग है, लेकिन चुनौतियां एक समान हैं लिहाज़ा सरकार ने वन्य प्राणियों औऱ जंगल जैसे प्राकृतिक संसाधनों व धरोहरों को बचाने को लेकर क़वायद तेज़ कर दिया है। सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व 1408 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इसके बीच से कई नदियां गुजरती हैं जिससे होकर तस्कर लकड़ियों की ढुलाई करते रहे हैं. इनसे निपटने के लिए नदी के दुर्गम इलाकों में तैनात वनकर्मी खुद को सुरक्षित रखकर तस्करों पर नजर रखते हैं।

 इधर CF डॉ नेशामणि के ने कहा कि वीटीआर से होकर गंडक नदी बहती है, इसलिए यहां भी अवैध लकड़ी ढुलाई के लिए नदी का इस्तेमाल होता है जिसको लेकर यह ट्रेनिंग बेहद महत्वपूर्ण है वहीं महिला स्वाभिमान बटालियन के जवान औऱ वनकर्मी भी सरकार के इस पहल को लेकर बेहद उत्साहित होकर इससे नई तकनीक औऱ ऊर्जा मिलने समेत आत्मविश्वास बढ़ने की बात कह रहे तस्करों के सफाये को लेकर तैयार हो रहे हैं यही वजह है कि वीटीआर के वनकर्मियों को भी तस्करी रोकने की ट्रेनिंग दी जा रही है जो आने वाले दिनों में मिल का पत्थर साबित होगा ।


REPORTED BY ASHISH

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