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ऑक्सीजन की मांग पर सामने आ गई केजरीवाल सरकार की सच्चाई, सुप्रीम कोर्ट की पैनल ने कहा – आवश्यकता से चार गुना अधिक की मांग, 12 राज्यों के आवंटन में की गई थी कटौती

ऑक्सीजन की मांग पर सामने आ गई केजरीवाल सरकार की सच्चाई, सुप्रीम कोर्ट की पैनल ने कहा – आवश्यकता से चार गुना अधिक की मांग, 12 राज्यों के आवंटन में की गई थी कटौती

NEW DELHI : कोरोना के दूसरे फेज में ऑक्सीजन की मांग को लेकर जितना ड्रामा दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने किया था, अब उसकी पोल खुल गई है। ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित ऑडिट कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि   दिल्ली सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की मांग को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और चार गुना ज्यादा ऑक्सीजन की मांग की। जिसके कारण दूसरे राज्यों को आवंटित होनेवाले ऑक्सीजन की सप्लाई दिल्ली को करनी पड़ी। अब ऑडिट रिपोर्ट सामने आने के बाद भाजपा ने दिल्ली सरकार पर हमला बोल दिया है। सांसद गौतम गंभीर ने सीएम केजरीवाल को लेकर कहा है कि अगर उनमें शर्म बची है तो वह इस झूठ के लिए देश से माफी मांगे। 

सुप्रीम कोर्ट ने यह ऑडिट कमेटी पिछले महीने गठित की थी। दिल्लीभर में अस्पतालों द्वारा ऑक्सीजन की भारी मांग के चलते सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूण और एमआर शाह ने एक 12 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया और ऑक्सीजन वितरण को लेकर ऑडिट रिपोर्ट पेश करने को कहा था। टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 29 अप्रैल से 10 मई के बीच दिल्ली में ऑक्सीजन की खपत को लेकर कुछ अस्पतालों द्वारा रिपोर्टिंग में बड़ी गलतियां की गई थीं जिसे सही करना पड़ा। दिल्ली सरकार ने दिखाया कि अस्पतालों द्वारा वास्तविक मांग 1140 मीट्रिक टन की थी। जब इस रिपोर्ट में सुधार किया गया तो यह जरूरत घटकर 209 मीट्रिक टन पर आ पहुंची।



नहीं थी ऑक्सीजन की किल्लत

ऑडिट कमेटी ने अपनी जांच में पाया कि 13 मई को ऑक्सीजन टैंकर अधिकतर अस्पतालों में खाली ही नहीं हो सके क्योंकि वहां पहले ही ऑक्सीजन टैंक 75 प्रतिशत से ज्यादा क्षमता के साथ भरे हुए थे। यहां तक कि सरकारी अस्पताल जैसे एलएनजेपी और एम्स ने भी फुल टैंक होने की बात कही है।

12 राज्यों के आवंटन में कटौती कर दिल्ली को की आपूर्ति

कोरोना काल में सीएम केजरीवाल ने दिल्ली में ऑक्सीजन की घोर किल्लत का हवाला देते हुए केंद्र सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। साथ ही दिल्ली को तत्काल 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की थी। वहीं दिल्ली हाइकोर्ट ने भी मामले में दिल्ली सरकार का साथ देते हुए केंद्र को ऑक्सीजन का आवंटन बढ़ाने का निर्देश दिया था। जिसके कारण दिल्ली की अधिक मांग की वजह से 12 अन्य राज्यों को ऑक्सीजन की भारी कमी झेलनी पड़ी क्योंकि उनकी जरूरत का ऑक्सीजन दिल्ली को दिया जा रहा था।

टास्क फोर्स की सिफारिशें

टास्क फोर्स की सिफारिश है कि बड़े शहरों जैसे दिल्ली और मुंबई की ऑक्सीजन जरूरत को पूरा करने के लिए ऐसी स्ट्रैटेजी बने जिससे यहां की जरूरत की 50 प्रतिशत ऑक्सीजन का उत्पादन स्थानीय स्तर पर ही हो जाए। या फिर आसपास के इलाकों से मिल जाए। दूसरी सिफारिश है कि सभी 18 मेट्रो शहरों को ऑक्सीजन के लिहाज से आत्मनिर्भर बनाया जाए जिसके लिए कम से कम 100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन स्टोरेज की सुविधा शहर में ही हो।


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