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सवर्णों के लिए हक़ मांगना अपराध नहीं, सीपी ठाकुर ने गिरफ़्तार युवाओं की रिहाई मांगी

सवर्णों के लिए हक़ मांगना अपराध नहीं, सीपी ठाकुर ने गिरफ़्तार युवाओं की रिहाई मांगी

PATNA :   गरीब, गरीब होता है। चाहे वह सवर्ण हो या दलित। दलित गरीब और सवर्ण गरीब को अलग-अलग बांट कर नहीं देखा जा सकता। हर जाति और समुदाय में गरीब लोग हैं। 6 सितम्बर को सवर्ण समुदाय ने अपने हक के लिए आवाज उठायी थी। लेकिन बिहार की पुलिस इनके साथ अपराधियों की तरह सलूक कर रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद  पद्मश्री डॉ. सीपी ठाकुर ने पुलिस के इस रवैये को सरासर गलत करार दिया है। 

गया में पुलिस का अमानवीय रवैया

भाजपा के सांसद डॉ. सीपी ठाकुर ने बिहार पुलिस के बर्बर कारनामे की खिलाफ आवाज उठायी है। सवर्णों के भारत बंद के सिलसिले में गया के बेलागंज में पुलिस ने छोटे छोटे बच्चों को भी गिरफ्तार कर लिया था। बच्चियों और महिलाओं के साथ बदसलूकी की गयी। बच्चों को हथकड़ी तक लगायी गयी। जुल्म ढाने में पुलिस कानून को भी भूल गयी। भारत बंद को लेकर जितने लोगों की गिरफ्तारी हुई है उन्हें रिहा कर दिया जाना चाहिए। वे कोई अपराधी नहीं हैं। हक के लिए आवाज उठाना कोई गुनाह नहीं है।

 

पासवान का समर्थन

डॉ. सीपी ठाकुर ने लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान का समर्थन किया है। रामविलास पासवान ने गरीब सवर्णों को 15 फीसदी आरक्षण देने की मांग की है। डॉ. ठाकुर ने कहा कि ऊंची जातियों में भी गरीब लोग हैं। उनको भी रोजी-रोटी के लिए रोजगार चाहिए। अगर उन्हें आरक्षण मिलेगा तो उनकी राह आसान हो जाएगी। ऐसे गरीब लोगों को केवल इस लिए आरक्षण के दायरे से बाहर नहीं किया जा सकता कि वे सवर्ण हैं। गरीबी को आंकने में भेदभाव नहीं किया जा सकता। केन्द्र सरकार गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के लिए जल्द से जल्द विचार करे।

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