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14 साल से राज्य के सरकारी अधिवक्ताओं की फीस में नहीं हुई बढ़ोतरी, केंद्रीय वकीलों की तुलना में सिर्फ इतनी मिलती है रोजाना फीस

14 साल से राज्य के सरकारी अधिवक्ताओं की फीस में नहीं हुई बढ़ोतरी, केंद्रीय वकीलों की तुलना में सिर्फ इतनी मिलती है रोजाना फीस

PATNA : पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के वकीलों की फीस में पिछले 14 सालों से कोई बढ़ोतरी नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अधिवक्ता सत्यम शिवम सुंदरम की जनहित याचिका पर सुनवाई की। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पूर्व  महाधिवक्ता पीके शाही समेत पाँच वरीय अधिवक्ताओं को राज्य के मुख्य कार्यपालक ( मुख्यमंत्री)  से मिल कर इस सम्बन्ध में विचार करने का निर्देश दिया था।

वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को बताया कि 29 दिसम्बर,2022 को अधिवक्ताओं की टीम ने मुख्यमंत्री से भेंट कर सरकारी वकीलों के फीस बढोतरी के सम्बन्ध में चर्चा की। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया।उन्होंने इस सम्बन्ध में प्रस्ताव देने को कहा।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पूर्व महाधिवक्ता पी के शाही के नेतृत्व में पाँच वरीय अधिवक्ताओं को राज्य के मुख्यमंत्री से मिल कर सरकारी वकीलों की फीस बढ़ाने के मामलें में विचार करने को कहा था। पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार सहित अन्य राज्य राज्य सरकार के वकीलों की तुलना में यहाँ के  सरकारी वकीलों को काफी कम फीस का भुगतान किया जाता है। याचिककर्ता   की ओर से पूर्व महाधिवक्ता एवं सीनियर एडवोकेट पी के शाही ने बहस करते हुए कहा था कि पटना हाई कोर्ट में ही केंद्र सरकार के वकीलों की जहाँ रोजाना फीस न्यूनतम 9 हज़ार रुपये है, वहाँ बिहार सरकार के वकीलों को इसी हाई कोर्ट में रोजाना अधिकतम  फीस  रू 2750 से 3750 तक ही है। 

बिहार से झारखंड और बंगाल के वकीलों को मिलता है फीस

वरीय अधिवक्ता पीके शाही  ने कोर्ट को जानकारी दी कि पंजाब व हरियाणा, दिल्ली सहित पड़ोसी राज्य  झारखंड और बंगाल में भी वहाँ के सरकारी वकीलों का फीस बिहार के सरकारी वकीलों से ज्यादा है। एडवोकेट विकास कुमार  ने कोर्ट को बताया कि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ( कैट) पटना बेंच में तो मूल वाद पत्र दायर कर उसपे बहस करने वाले केंद्र सरकार के वकीलों को रोजाना हर मामले पर 9 हज़ार रुपये फीस मिलता है। 

सबसे दयनीय स्थिति राज्य के सहायक सरकारी वकीलों की है, जिन्हें रोजाना मात्र 1250 रुपये फीसही काम करना पड़ता है। बिहार में राज्य सरकारों के वकीलों के फीस में वृद्धि 14 साल पहले  बिहार के तत्कालीन महाधिवक्ता  पीके शाही के ही  कार्यकाल में ही हुई थी। इस मामले पर अगली सुनवाई 24 जनवरी,2023 को की  जाएगी।

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