PATNA : पिछले दिनों पेट्रोल डीजल की कीमतों में गई भारी कमी के कारण आम लोगों को भले ही राहत मिली हो, लेकिन बिहार के पेट्रोल पंप संचालकों को इसके कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा है। जिसके बाद सूबे के 3000 पेट्रोल पंप संचालकों ने तेल कंपनियों के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है। पेट्रोल पंप संचालकों ने न सिर्फ तेल का उठाव बंद कर दिया है, बल्कि दर कम होने के कारण हुए नुकसान की भरपाई की मांग भी की है।
मंगलवार को नहीं हुआ उठाव
बिहार पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन (बीपीडीए) की अपील पर राज्य के पेट्रोल पंपों द्वारा मंगलवार को तेल उत्पादन कंपनियों से उठाव नहीं किया गया। 2017 से डीलर मार्जिन में बदलाव नहीं करने, नंवबर 2021 और मई 2022 में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बड़ी कटौती करने से हुए नुकसान की भरपाई करने समेत पांच सूत्री मांगों के समर्थन में उठाव नहीं किया गया है। एसोसिएशन के महासचिव विजेन्द्र सिन्हा ने कहा कि एसोसिएशन की अपील पर राज्य के तीन हजार पेट्रोल पंपों द्वारा पेट्रोल व डीजल का उठाव नहीं किया गया।
औसतन तीन से दस लाख का हुआ नुकसान
महासचिव ने कहा कि बीते छह महीने में (नवंबर 2021 और मई 2022) पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बड़ी गिरावट हुई। दोनों गिरावट को आधार मानें तो 13 रुपये पेट्रोल और 16 रुपये प्रति लीटर डीजल में गिरावट की गयी। इससे डीलरों को औसतन तीन लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक का नुकसान हुआ है। इस नुकसान की भरपाई होना चाहिए।
मांगे नहीं मानी तो अस्थायी रूप से बंद होगा पेट्रोल पंप
इसके बाद भी यदि उनकी मांगों पर कोई निर्णय नहीं लिया गया तो आने वाले दिनों में कंपनियों से उठाव नहीं करने के अलावा पेट्रोल पंपों को अस्थायी रूप से बंद करने (नो सेल नो परचेज) का आंदोलन भी चलाया जाएगा।
बहरहाल, तेल कंपनियों और पेट्रोल पंप संचालकों के बीच का विवाद जल्द नहीं सुलझता है तो आनेवाले दिनों में इनका असर आम लोगों पर पड़ना तय है।