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भारतीय न्याय संहिता पर नहीं बनी बात... गृह मामलों की संसदीय समिति ने नहीं अपनाया IPC और CRPC को बदलने का मसौदा रिपोर्ट

भारतीय न्याय संहिता पर नहीं बनी बात... गृह मामलों की संसदीय समिति ने नहीं अपनाया IPC और CRPC को बदलने का मसौदा रिपोर्ट

DESK. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) का नाम बदलकर 'भारतीय न्याय संहिता’ करने की केंद्र सरकार की पहल पर गृह मामलों की संसदीय समिति में बात नहीं बनी है. गृह मामलों की संसदीय समिति ने शुक्रवार को इसे लेकर एक बैठक की. इसमें इससे जुड़े मसौदा रिपोर्ट को नहीं अपनाया गया. 'भारतीय न्याय संहिता, 2023' पर मसौदा 246वीं रिपोर्ट;  'भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023' पर मसौदा 247वीं रिपोर्ट और 'भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023' पर मसौदा 248वीं रिपोर्ट को फ़िलहाल संसदीय समिति ने अपनी मंजूरी नहीं दी है. 

संसदीय समिति में शामिल कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और विभिन्न विपक्षी दलों के कुछ अन्य सदस्यों ने समिति अध्यक्ष से मसौदा रिपोर्ट पढ़ने के लिए कुछ और समय देने को कहा। वहीं कुछ सदस्यों ने फिर से विधेयकों के नाम का मुद्दा उठाया। साथ ही इससे जुड़े प्रावधानों को लेकर भी अलग अलग तरीके के विचार व्यक्त किए गए. बैठक में फ़िलहाल किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका. साथ ही तय हुआ कि बैठक की अगली तारीख 6 नवंबर, 2023 होगी. 

दरअसल, भारत के लिए भारतीय न्याय संहिता (BNS 2023) प्रस्तावित एक नई न्याय संहिता है, जो मौजूदा भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) और साक्ष्य अधिनियम की स्थान लेगी। केंद्र की ओर नई नीति लाने का मकसद अपराधों के मामले में समय से और उचित फैसला दिलाने की व्यवस्था सुनिश्चित करना है। नए संशोधन के तहत केंद्र सरकार का दावा है कि यह वर्तमान भारतीय न्याय प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाएगा।

केंद्र सरकार ने भारतीय न्याय संहिता, 2023 को 11 अगस्त, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया था, जो कि भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की जगह लेगा। नया कानून आईपीसी, 1860 को कुछ अहम बदलाव के साथ लाया जाएगा। इसके तहत मानव शरीर पर हमला और हत्या, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे जबरन वसूली और चोरी, सार्वजनिक व्यवस्था जैसे गैरकानूनी सभा और दंगा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा , शालीनता, नैतिकता और धर्म, मानहानि और राज्य के विरुद्ध अपराध जैसे मामलों में की जाने वाली कार्रवाई के प्रावधानों में बदलाव किए गए हैं।

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