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बिहार के ये तीन जिले सबसे ज्यादा अनुशासनहीन हैं,लॉकडाउन के उल्लंघन को अपनी शान समझते हैं

बिहार के ये तीन जिले सबसे ज्यादा अनुशासनहीन हैं,लॉकडाउन के उल्लंघन को अपनी शान समझते हैं

patna : कोरोना जैसी भयंकर महामारी से पूरी दुनिया में जंग जारी है। इससे बचाव के तमाम तरह के उपाय करने के बावजूद हजारों लोग प्रतिदिन मौत की भेंट चढ़ जा रहे हैं। 21 दिनों का लॉकडाउन लगाकर लोगों को घरों से निकलने पर पाबंदी लगा दी गयी है। यह नागरिकों की सुरक्षा हेतु किया गया है। लेकिन लोग हैं कि मानते ही नहीं। कानून ठेंगे पर रखना अपनी शान समझते हैं। बिहार में यह बदस्तूर जारी है। खासकर तीन जिलों ने तो अनुशासनहीनता के रिकॉर्ड बना डाले हैं।

लॉकडाउन तोड़ने में ये तीन जिलें हैं अव्वल 

कोरोना जैसी भीड़ से फैलने वाली महामारी पर रोक लगाने के लिए सरकार ने पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन लगा दिया है। लॉक डाउन में आम नागरिकों के निकलने पर पाबंदी लगा दी गई है। स्कूल, कॉलेज व सार्वजनिक आयोजनों पर भी पाबंदी लगा दी गई है।यहां तक कि मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजा घरों को भी बंद कर दिया गया है।

लोगों से अपील की जा रही है कि सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करें ।सरकार के द्वारा बताए गए तमाम उपायों को पर अमल करें। तब जाकर इस भयंकर महामारी के खिलाफ हम लोग लड़ाई जीत सकते हैं। लेकिन बिहार है कि मानता ही नहीं। लॉक डाउन की ऐसी की तैसी। बिहार के इन जिलों ने तो लॉक डाउन तोड़ने का रिकॉर्ड ही बना दिया है।पटना नालंदा और सिवान इसमें सबसे अव्वल है। 

बता दें कि 24 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के तहत अब तक पूरे प्रदेश में 424 एफ आई आर दर्ज की गई है वही 100 से ऊपर व्यक्तियों को गिरफ्तार भी किया गया है ।लेकिन नालंदा सिवान और पटना में लॉक डाउन के उल्लंघन से संबंधित मामले सबसे ज्यादा दर्ज किए गए हैं।  133 एफ आई आर सिर्फ नालंदा में दर्ज हुए हैं। 

वहीं पटना में 80 सिवान में 70 मामले दर्ज हुए हैं ।गिरफ्तारी के मामले में गया जिला सबसे टॉप पर है वहां 50 लोगों को लखनऊ के उल्लंघन के मामले में गिरफ्तार किया गया है। लेकिन बड़ा सवाल है कि करुणा से लड़ाई में अगर आम नागरिकों का सहयोग नहीं होगा तो आगे चलकर कम्युनिटी इंफेक्शन फैलने का खतरा है। हम लोगों को सरकार के द्वारा बताए गए उपायों पर अमल करना जरूरी है। 

क्योंकि कहा जाता है कि जान है तब जहान है। नालंदा हो या गया सारे जिले के लोगों को अपने व्यवहार में सुधार करना होगा। यह लड़ाई सरकारी और सामाजिक दोनों स्तर पर मिलकर लड़ना होगा तब जाकर इस महामारी से भारत जंग जीत सकता है।

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