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बिहार में पहली बार हुआ ऐसा : अब जिला कार्यालयों के पाई पाई के खर्च का होगा लेखा जोखा, वित्त विभाग ने कर दी है ऐसी व्यवस्था

बिहार में पहली बार हुआ ऐसा : अब जिला कार्यालयों के पाई पाई के खर्च का होगा लेखा जोखा, वित्त विभाग ने कर दी है ऐसी व्यवस्था

PATNA : बिहार सरकार ने विभिन्न विभागों में हो रहे अनाप शनाप खर्च को लेकर लगाम लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। बिहार में पहली बार ऐसा हुआ है कि सभी जिलों के सरकारी विभागों में आतंरिक वित्तीय सलाहकार की नियुक्ति की गई है। बताया जा रहा है कि इन विभागों के होनेवाले कार्य को लेकर अपनी सलाह दे सकता है। वित्त विभाग ने इन अधिकारियों की नई पोस्टिंग को लेकर सूची भी जारी कर दी है। बताया गया कि यह नियुक्ति प्रदेश के सभी जिलों में की गई है। वित्त विभाग की मानें अगले एक सप्ताह में इन्हें काम का प्रशिक्षण दे दिया जाएगा। 

अभी विभाग और जिला कार्यालयों में वित्त एवं लेखा संबंधी जो कार्य किए जाते हैं, उनमें गुणवत्ता की कमी रहती है। इस कारण कई तरह की शिकायतें मिलती रहती हैं। सलाहकार विभाग का वित्तीय प्रबंधन, बजट निर्माण, स्कीम सूत्रण, स्कीम स्वीकृति और उसका अनुश्रवण करना, गबन, दुर्विनियोग और अधिक व्यय आदि मामलों की जांच कर वित्त विभाग को रिपोर्ट देंगे। 

इसके अलावा बताया जा रहा है कि विभाग के राजपत्रित अधिकारियों का वेतन पुर्जा निर्गत करना, सचिवालय एवं संलग्न कार्यालयों में पदस्थापित तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के सभी कर्मियों का निकासी एवं व्ययन तथा उनका वेतन निर्धारण का सत्यापन करना, विभागीय अंकेक्षण आपत्तियों के निष्पादन और अनुश्रवण करना, विभाग का वित्तीय प्रबंधन, बजट निर्माण, स्कीम सूत्रण, स्कीम स्वीकृति और उसका अनुश्रवण करना, गबन, दुर्विनियोग और अधिक व्यय आदि मामलों की जांच करना और इससे संबंधित प्रतिवेदन देना भी इनकी जिम्मेदारी हाेगी।

वित्त विभाग में भी बड़ा फेरबदल 

वित्त विभाग ने न सिर्फ विभिन्न सरकारी विभागों में आंतरिक वित्तीय सलाहकार की नियुक्ति की है, बल्कि सात साल बाद अपने विभाग में बड़ा परिवर्तन किया है। विभाग के अपने सभी 39 ट्रेजरी अधिकारी का भी तबादला कर दिया है, इसके अलावा सभी जिलों में असिस्टेंट ट्रेजरी ऑफिसर का भी ट्रांसफर कर दिया है। वित्त विभाग की मानें तो  CFMS के परफॉर्मेन्स को भी ट्रांसफर पोस्टिंग का आधार बनाया गया है।

दो साल पहले बनी योजना

जिला कार्यालयों में वित्तीय सलाहकार नियुक्ति करने की प्रस्ताव दो साल पहले तैयार किया गया था। तर्क दिया गया था कि बीते तीन दशक में राज्य में कल्याण एवं विकास की योजनाओं में लगातार वृद्धि हुई है। योजनाओं का व्यय नियमानुसार हो और लेखा-जोखा भी सही तरह से रखने के लिए ऐसी व्यवस्था की जरुरत है, जो इसका पूरा लेखा जोखा सही तरीके से रखे। साथ ही यह बताया गया खर्च को लेकर आए दिन विभाग और कार्यालयों में लेखा संबंधित विवाद उत्पन्न होते रहते हैं। अभी विभाग और जिला कार्यालयों में वित्त और लेखा संबंधी कार्य संबंधित विभाग के अधिकारी व कर्मचारी देखते हैं।

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