देश में पहली बार हुआ ऐसा, हाईकोर्ट के सात जज अपने लिए न्याय मांगने पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, हैरान CJI ने केंद्र और बिहार सरकार को जारी किया नोटिस, यह है पूरा मामला

देश में पहली बार हुआ ऐसा, हाईकोर्ट के सात जज अपने लिए न्याय मांगने पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, हैरान CJI ने केंद्र और बिहार सरकार को जारी किया नोटिस, यह है पूरा मामला

DELHI : ऐसा शायद देश में कभी सुनने को नहीं मिला होगा कि हाईकोर्ट के सात जजों को ही अपने लिए न्याय पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। मामला पटना हाईकोर्ट के उन सात जजों से जुड़ा है,जिनके जीपीएफ खाते को बंद कर दिया गया है। मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई की खंडपीठ ने सुनवाई की। इस दौरान चीफ जस्टिस ने भी खाता बंद करने को लेकर हैरानी जताई और केंद्र के साथ बिहार सरकार को भी नोटिस जारी कर इस पर जवाब मांगा है। 

बता दें कि पटना हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शैलेन्द्र सिंह, न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा,न्यायमूर्ति जितेन्द्र कुमार, न्यायमूर्ति आलोक कुमार पांडेय, न्यायमूर्ति सुनील दत्त मिश्रा, न्यायमूर्ति चन्द्रप्रकाश सिंह और न्यायमूर्ति चन्द्रशेखर झा ने जीपीएफ खाता बंद करने को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने बताया कि ये सभी न्यायिक सेवा कोटे से 22 जून को न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। 

जज बनने के बाद इन सभी के GPF अकाउंट को बंद कर दिया गया। सभी सात जजों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ से जल्द सुनवाई की मांग की थी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट से आज की तारीख दी गई थी।

याचिका में जजों से भेदभाव के लगाए गए थे आरोप

याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट के जजों के साथ इस आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वे न्यायिक सेवा कोटे से नियुक्त हुए हैं। इन सभी जजों के GPF अकाउंट को यह कहकर बंद कर दिया गया कि न्यायिक सेवा में उनकी नियुक्ति साल 2005 के बाद हुई थी। जजों का कहना है कि उन्हें भी वही सुविधा मिलनी चाहिए जो सुविधा बार कोटे से नियुक्त जजों को दी जा रही है।


Find Us on Facebook

Trending News