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लव मैरेज करनेवालों के लिए फेवरेट है यह मंदिर, यहां सौ-दो सौ नहीं, 28 हजार प्रेमी जोड़े थाम चुके हैं एक दूसरे का हाथ

लव मैरेज करनेवालों के लिए फेवरेट है यह मंदिर, यहां सौ-दो सौ नहीं, 28 हजार प्रेमी जोड़े थाम चुके हैं एक दूसरे का हाथ

DESK :  प्रेमी जोड़े अक्सर भागकर किसी मंदिर में विवाह कर लेते हैं। लेकिन, यहां हम उस मंदिर का जिक्र कर रहे हैं, जिसे प्रेमी जोड़ों का फेवरेट मंदिर कहा जाए तो गलत नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मंदिर में सौ-दो सौ नहीं, बल्कि 28 हजार प्रेमी जोड़ों ने शादी कर एक दूसरे का हाथ थामा है। 

छत्तीसगढ़ के रायपुर में स्थित है यह मंदिर

यह मंदिर है रायपुर के बैजनाथ पारा स्थित आर्य समाज मंदिर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अंग्रेजों के जमाने का एक ऐसा मंदिर है, जो प्यार करने वालों के लिए किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है। यहां प्यार करने वालों को वो मिलता है, जिसकी चाहत लिए वो इश्क के दरिया में डूबते हैं, यानी अपने चाहने वालों का साथ और जिंदगी भर हाथों में हाथ। मंदिर के प्रधान लक्ष्मी नारायण महतो का कहना है कि, 'जो हमारी चौखट के अंदर आ गया, उस जोड़े की शादी होकर ही रहती है।'

अब तक 28 हजार प्रेमी जोड़ो ने लिए फेरे

बताया जाता है कि 1907 में स्थापित इस  आर्य समाज मंदिर में 28 हजार 500 से ज्यादा प्रेमी जोड़ों की शादियां करवाई जा चुकी हैं। मंदिर के प्रधान महतो ने बताया सामान्य दिनों में हर साल 2 हजार से अधिक जोड़ों की यहां शादी होती है। कोविड से पहले साल 2019 में 2131, 2021 में 1762 और 2020 में 1532 जोड़ों की शादियां यहां संपन्न हुईं। लेकिन कोविड के कारण पिछले दो सालों में यहां किसी की शादी नहीं कराई गई है। 

कई बार करना पड़ता है विरोध का सामना

आर्य समाज मंदिर के पदाधिकारियों ने बताया, 'यहां प्रेमी जोड़े कई बार घरवालों को बिना बताए शादी करने पहुंचते हैं। मगर भनक लगने पर यहां घर वाले भी अपने रिश्तेदार और कुछ गुंडों को लेकर पहुंच जाते हैं, कई बार धक्का-मुक्की झूमाझटकी के हालात पैदा होते हैं। हाल ही में एक दूल्हे को उसका भाई मंडप से उठाकर ले जा रहा था, समाज के पदाधिकारियों ने उसे रोका, पुलिस बुलवाई गई। पुलिस के पहरे के बीच जोड़े की शादी करवाई गई।'

प्रेमी जोड़ों को करना पड़ना है इस बात का पालन

प्रेमी जोड़ों की चार-चार पासपोर्ट साइज फोटो देनी होती है। लड़के- लड़की को स्टांप पेपर पर एफिडेविट देना होता है। जोड़ों की तरफ से तीन लोगों का मौजूद होना जरूरी होता है। शादी करने वालों का हिंदू होना जरूरी है। गैर हिंदू होने पर उनका वैदिक शुद्धीकरण संस्कार करने के बाद शादी की जाती है। विवाह के लिए 4000 रुपए का विवाह शुल्क लिया जाता है। आर्थिक रूप से कमजोर जोड़ों को कई बार संस्था के लोग निशुल्क भी सहायता करते हैं। 2 मीटर पीला कपड़ा, दो फूलों के हार और कुछ खुले फूल लेकर जोड़े पहुंचते हैं। जरूरत के अनुसार, मिठाई भी जोड़े लाते हैं, बस इसके बाद शादी की रस्म पूरी की जाती है।

आर्य समाज में मत, मजहब, संप्रदाय का महत्व नहीं

आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने सन 1875 में की थी। यह पूरी तरह से आस्तिक (भगवान को मानने वाला) संगठन है। समाज के लोग बताते हैं, 'यह मत, मजहब, संप्रदाय, वगैरह नहीं है। समाज का मकसद सनातन धर्म का वैदिक प्रचार करना है। वेद प्रचार के लिए आर्य समाज की स्थापना की गई थी। यह समाज जन्म से जात-पात का खंडन करता है, इसी वजह से एकता के लिए अंतरजातीय विवाह करवाता है और प्रेमी जोड़ों की शादी करने में मदद करता है।'


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