Nalanda : विश्व के तीसरे सबसे बड़े बुजुर्गों में शामिल बिहारशरीफ स्थित मखदुम-ए-जहां के आस्ताने पर इस वर्ष उर्स का आयोजन नहीं होगा। अकीदतमंदों को अपने घरों में ही बैठकर कुरानख्वानी,फातिहाख्वानी व रस्मों की अदायगी करनी होगी।
बता दें हर वर्ष ईद की 5वीं तारीख को उर्स की शुरुआत होती थी, लेकिन इस बार मज़ार पर किसी को भी भीड़ लगाने की इजाज़त नही होगी।
यह जानकारी आज बुधवार को जिले के एसडीओ जनार्दन प्रसाद अग्रवाल, डीएसपी इमरान परवेज़, पीर साहेब सैफुद्दीन फिरदौसी द्वारा दी गई है।
सज्जादा नशीं (पीर साहब) ने बताया कि इस वर्ष बाबा की मजार पर 659 उर्स लगने वाला था। 10 दिवसीय उर्स की शुरुआत ईद की पहली तारीख से हो जाती थी। इसमें कम से कम 10 लाख लोग शामिल होते थे।
सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक हर दिन कम से कम एक लाख लोग बिहारशरीफ में बाबा की मजार पर लगे उर्स में शिरकत करते थे। पिछले वर्ष तक देश के कोने-कोने से लाखों जायरीन मजार पर हाजिरी लगाने आते थे। इसमें दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, झारखंड, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों के अकीदतमंद शामिल होते थे।
उन्होंने बताया कि ईद की पांचवी तारीख को कुरानख्वानी, मगरिब की नमाज़ के बाद मखदूम-ए-जहां की जीवन पर चर्चा, उसके बाद नए बने हाफ़िज़ की दस्तारबंदी, फिर लंगर (गरीबों के बीच खाना का वितरण), उसके बाद जुलूस की शक्ल में दरगाह पर हाज़री, उसके बाद कुल और दुआ की जाती थी, लेकिन इस वर्ष कोरोन महामारी और लॉकडाउन को लेकर अकीदतमंदो को आने की इजाज़त नही होगी। वे अपने घरों में ही रहकर दुआ करें।
नालंदा से राज की रिपोर्ट