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बिहार में मंडराने लगा खतरा, बाहर से आए लोगों के लिए सिर्फ 9 अस्पताल, कैसे होगी सबकी जांच

बिहार में मंडराने लगा खतरा, बाहर से आए लोगों के लिए सिर्फ 9 अस्पताल, कैसे होगी सबकी जांच

Desk: पीएम मोदी ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की है. इससे पूरे देश में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करने वाले करीब 50 हजार बिहार के प्रवासी कामगारों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई. अब ये अपने घरों की ओर लौट रहे हैं. 

सरकारी डेटा के मुताबिक, उनके राज्य बिहार में राज्य संचालित स्वास्थ्य सेवाओं में मूलभूत सुविधाओं और स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी है. हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आदेश दिया है कि जो भी प्रवासी कामगार राज्य में वापस आ रहे हैं, उन्हें 14 दिनों के अनिवार्य क्वॉरन्टाइन में रखा जाएगा. मुख्यमंत्री ने प्रशासन को इन प्रवासी कामगारों के लिए राहत कैंप बनाने का आदेश भी दिया है. जिसमें लगातार खाने की सप्लाई बनाए रखने के आदेश भी जारी किए गए हैं.

बिहार सरकार ने जो डेटा जारी किया है, उसमें हॉस्पिटल और प्राइमरी हेल्थ केयर सेंटर की राज्य में भारी कमी देखी जा सकती है. डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री, बिहार सरकार की 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक जरूरी 40 मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में से राज्य में केवल 9 हॉस्पिटल ही काम कर रहे हैं. ऐसे में यहां 31 हॉस्पिटल कम हैं. जिला अस्पतालों की बात करें तो राज्य के लिए आवश्यक 38 अस्पतालों में से 36 राज्य में हैं. जबकि आवश्यक 212 सब-डिविजनल अस्पतालों में से राज्य में केवल 44 अस्पताल ही हैं. राज्य में जरूरी प्राइमरी और ग्रामीण स्वास्थ्य सेंटर भी आवश्यकता से कम हैं. बिहार में केवल 533 प्राइमरी हेल्थ सेंटर हैं, जबकि राज्य के लिए इनकी जरूरी संख्या 3314 है. राज्य में 1350 एडिशनल प्राइमरी सेंटर हैं, जबकि इनकी संख्या 2787 होनी चाहिए. वहीं राज्य में 9729 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं, जबकि इनकी संख्या जरूरत के मुताबिक 20,997 होनी चाहिए.

जबसे प्रवासी जनसंख्या ने राज्य में वापसी शुरू की है, राज्य सरकार ने 15,000 थर्मल स्क्रीनिंग किट खरीदी हैं और लौटने वालों की स्क्रीनिंग किए जाने का प्रबंध किया है. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य सरकार ने आगे के लिए आदेश दिया है कि गांव के स्कूलों और पंचायत भवनों को क्वारंटाइन सेंटर में बदला जाएगा. अन्य मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 10 दिनों में अलग-अलग राज्यों से बिहार में 3,500 प्रवासियों की वापसी हुई है. प्रसार से निपटने के लिए राज्य सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों जय प्रकाश नारायण हॉस्पिटल और न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल को आदेश दिया है कि वे सभी OPD सेवाएं बंद कर दें ताकि कोरोना वायरस के मरीजों के लिए प्रबंध किए जा सकें. इस महामारी के प्रसार की हालत में इससे निपटने के लिए राज्य में स्वास्थ्यकर्मियों की भी भारी कमी है. 701 विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत राज्य को है लेकिन इसके मुकाबले राज्य में मात्र 390 डॉक्टर हैं. जहां पर 695 जनरल डॉक्टरों की जरूरत राज्य में है लेकिन इनमें से सिर्फ 346 डॉक्टर ही हैं. वहीं 4,957 नर्स स्टाफ की जरूरत राज्य को है लेकिन राज्य में वर्तमान में सिर्फ 566 नर्सें ही हैं. इसी बीच पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के 83 जूनियर डॉक्टरों ने प्रशासन से अपील की है उन्हें 15 दिन के होम क्वॉरन्टाइन में रखा जाए क्योंकि उनमें से कई में बीमारी के इस संक्रमण के लक्षण नज़र आए हैं. इससे पहले डॉक्टरों ने प्रोटेक्टिव मास्क और सुरक्षा किट की कमी होने की शिकायत भी दर्ज कराई थी.


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