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दरभंगा में तीन दिवसीय किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन, किसानों को मखाना की खेती के तरीके बताये गये

दरभंगा में तीन दिवसीय किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन, किसानों को मखाना की खेती के तरीके बताये गये

दरभंगा. मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा (बासुदेवपुर) में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ। मखाना अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. इंदु शेखर सिंह के नेतृत्व में प्रशिक्षण कार्यक्रम चला। इस अवसर पर आयोजित किसान प्रशिक्षण समापन समारोह में मखाना अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. इंदु शेखर सिंह ने कई जानकारियां दीं।

उन्होंने कहा कि आज मखाना की खेती तालाब से निकलकर खेत तक पहुंच चुकी है। अब जिन खेतों में दो से तीन फीट तक जल-जमाव रहता है। वहां आधुनिक तरीके से मखाना की खेती की जा सकती है। मखाना को वैल्यू एडेड टैक्स से जोड़ने की बात की जा रही है। आत्मा के परियोजना निदेशक पूर्णेन्दु नाथ झा ने इस अवसर पर कहा कि मखाना की खेती के माध्यम से किसान अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर कर सकते हैं।

मखाना एक ऐसा खाद्य उत्पाद है, जिसमें पौष्टिक तत्व, कैल्शियम, एंटी ऑक्सीडेंट तत्व फाइबर की प्रचुर मात्रा पाई जाती है, जिससे यह किडनी व ह्रदय रोग से ग्रस्त लोगों को लाभ पहुंचाता है तथा यह मानसिक अवसाद को भी दूर करता है और पुरुषत्व को बढ़ाता है।

मखाना की खेती में खाद और कीटनाशक का कम से कम प्रयोग होने से यह और भी स्वास्थ्यवर्धक और लाभकारी है। इसलिए इसकी अंतरराष्ट्रीय मांग भी बढ़ती जा रही है। जर्मन के ट्रेड फेयर में मखाना चर्चा का केंद्र बिंदु बना रहा।

दरभंगा जिला के कुशेश्वरस्थान में मखाना की खेती की असीम संभावना है। वहां के किसानों को सलाह दी गई है कि वे मखाना और कांटा से मुक्त सिंघाड़ा की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपनिदेशक डॉ. मौज अहमद खान, प्रखंड तकनीकी प्रबंधक बृजेश कुमार, जयप्रकाश, श्रवण कुमार एवं अन्य कर्मी उपस्थित थे।

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