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तीन साल का समय, चार काउंसलिंग फिर भी स्कूलों के लिए नहीं मिले काबिल शिक्षक, 50 हजार सीटें अब भी खाली

तीन साल का समय, चार काउंसलिंग फिर भी स्कूलों के लिए नहीं मिले काबिल शिक्षक, 50 हजार सीटें अब भी खाली

PATNA : बिहार में शिक्षक की नियुक्ति एक ऐसी प्रक्रिया है, जो पिछले 16 साल से चली आ रही है। लेकिन अभी तक इसे पूरी तरह से व्यवस्थित नहीं किया जा सका है। ऐसी उम्मीद थी कि इस बार 91 हजार शिक्षकों की नियुक्ति के बाद यह समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी। लेकिन इस बार भी समस्या बरकरार रह गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि 91 शिक्षकों पदों में से 50  हजार सीटें अब भी खाली रह गई हैं। 

नहीं मिल रहे काबिल शिक्षक

शिक्षा विभाग को ‘काबिल’ अभ्यर्थी नहीं मिल रहे है। वह भी तब जबकि छठे चरण के तहत नियोजन प्रक्रिया 34 महीने से (5 जुलाई 2019) से चल रही है। चार बार योग्य अभ्यर्थियों के चयन को काउंसिलंग हो चुकी है। जुलाई व अगस्त 2021, फरवरी 2022 में हुई काउंसिलिंग के अलावा हाल ही छूटी हुई नियोजन इकाइयों में चयन का विशेष चक्र हुआ।

40 हजार ही हुए नियुक्त

90 हजार 762 पदों के लिए चल रही नियुक्ति प्रक्रिया के तहत अब तक महज 40 हजार ही नियुक्ति पत्र बांटे जा सके हैं। तीन सामान्य काउंसिलिंग चक्रों के तहत 41 हजार 515 चिनयित हुए। इनमें से 39 हजार 057 की ज्वाइनिंग हुई। वहीं 18 अप्रैल के विशेष चक्र में करीब 2300 पदों के लिए काउंसिलिंग के दौरान 1377 का चयन हुआ और 932 को ही नियुक्ति पत्र दिए गए। 445 चयनितों के प्रमाण पत्र संदेहास्पद होने से उनकी जांच चल रही है। इस तरह चार चरणों को मिलाकर 50 हजार 771 प्रारंभिक शिक्षकों के पद रिक्त रह गए हैं। 

कई विषयों  के लिए नहीं मिले शिक्षक

जो पद खाली हैं उनमें बड़ी तादाद गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत और हिन्दी विषयों के शिक्षकों के हैं। नियोजन इकाइयों को योग्य अभ्यर्थियों के आवेदन ही नहीं मिले। वहीं सामाजिक विज्ञान विषय में राज्यभर में सबसे अधिक भीड़ रही। 

गणित के 60, संस्कृत के 75 और हिंदी के 50 फीसदी सीटें खाली

पहले दो चरण की काउंसिलिंग की रिपोर्ट के मुताबिक ही उर्दू शिक्षकों के करीब 14 हजार पदों पर अभ्यर्थी नहीं मिले। जबकि मध्य विद्यालयों में गणित के 60, संस्कृत के 75, अंग्रेजी के 40, हिन्दी के 50 और उर्दू शिक्षकों के 70 फीसदी पद खाली रह गए हैं।

पंचायतों में नहीं हुई नियुक्ति प्रक्रिया

विभाग की इतनी कवायदों के बाद भी अब भी बड़ी संख्या ऐसी नियोजन इकाइयां की हैं जहां काउंसिलिंग नहीं हो सकी है। 150 नियोजन इकाइयां उन उत्क्रमित पंचायतों की हैं, जहां आवेदन पड़े हैं। ये पंचायतें नगर पंचायत या नगर परिषद बन चुकी हैं। वहीं विशेष चक्र के बाद भी 84 पंचायत और 3 प्रखंड नियोजन इकाइयों में चयन प्रक्रिया बाकी रह गई है। बहरहाल विभाग को अभी फैसला लेना होगा कि शेष बचे पदों पर वह नियोजन इसी चरण में पूर्ण करे या पदों को अगले चरण के लिए रखे।

महिलाओं की कम हुई दिलचस्पी

टीचर की नौकरी महिलाओं की पसंदीदा माना जाता है। लेकिन चौंकानेवाली बात है कि बिहार में महिला टीचर के पद सबसे अधिक खाली रह गये हैं। अब तक की नियुक्ति में सामान्य पुरुष व महिला, ओबीसी पुरुष, ईबीसी पुरुष के ही पद अधिक भरे हैं। जबकि सबसे अधिक ओबीसी व ईबीसी श्रेणी की महिलाओं के पद रिक्त रह गए हैं। नियोजन इकाइयों को इस श्रेणी के दावेदार नहीं मिले।

आरक्षण के बाद भी हालत नहीं सुधरे

राज्य सरकार ने प्राथमिक शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50 फीसदी पदों पर आरक्षण दिया है। पहली से पांचवीं तक में इस श्रेणी में सामान्य कोटि की महिलाओं के भी हजारों पद खाली रह गए हैं। एससी व एसटी महिला व पुरुष दोनों श्रेणी के पद रिक्त रह गए हैं। वैसे अभी आधिकारिक रूप से प्राथमिक निदेशालय जिलों से रिक्त पदों का ब्योरा लेगा।

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