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सालों बाद हुआ टीएन शेषन का जिक्र, सुप्रीम कोर्ट ने कहा - उनके जैसा कोई मुख्य चुनाव आयुक्त नहीं हुआ, बिहार से रहा है खास रिश्ता

सालों बाद हुआ टीएन शेषन का जिक्र, सुप्रीम कोर्ट ने कहा - उनके जैसा कोई मुख्य चुनाव आयुक्त नहीं हुआ, बिहार से रहा है खास रिश्ता

NEW DELHI : देश में कई मुख्य चुनाव आयुक्त हुए हैं, लेकिन टी एन शेषन कभी-कभार ही होते हैं. हम नहीं चाहते हैं कि उसे कोई उसे दबाए। यह कहना है देश की सुप्रीम कोर्ट का।  सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि संविधान ने मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों के "नाजुक कंधों" पर भारी शक्तियां निहित कर दी हैं और सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि दिवंगत टी एन शेषन जैसे मजबूत चरित्र का व्यक्ति देश का मुख्य चुनाव आयुक्त बने।

दरअसल, मंगलवार को चुनाव आयोग की स्वायत्तता पर सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच में सुनवाई हो रही थी. जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता में हुई इस सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि कोर्ट की कोशिश है कि वो एक सिस्टम तैयार किया जाए कि 'बेस्ट मैन; मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में चुना जाए।

जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, ऋशिकेष राय और सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा कि 'देश में कई सीईसी रह चुके हैं और टी एन शेषन कभी-कभार ही होते हैं। हम नहीं चाहते कि कोई इसे दबाने की कोशिश करे। संविधान ने इन तीन लोगों (2 चुनाव आयुक्त, 1 मुख्य चुनाव आयुक्त) के नाजुक कंधों पर भारी शक्तियां दी है। हमें CEC के पद के लिए सर्वोत्तम व्यक्ति को खोजना है. सवाल यह है कि हम उस बेस्ट व्यक्ति को कैसे चुनें और उसे कैसे नियुक्त करें।

कोर्ट ने केंद्र की तरफ से पेश हो रहे अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि हम अच्छी प्रक्रिया अपनाते हैं ताकि सक्षम व्यक्ति के अलावा मजबूत चरित्र का कोई शख्स ही सीईसी के रूप में नियुक्त किया जा सके। वेंकटरमणी ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति की नियुक्ति पर किसी को आपत्ति नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि यह कैसे किया जा सकता है।

बता दें कि 23 अक्टूबर, 2018 को, शीर्ष अदालत ने सीईसी और ईसी के चयन के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को आधिकारिक निर्णय के लिए पांच जजों की संविधान पीठ को भेज दिया था। 17 नवंबर को, केंद्र ने सीईसी और ईसी के चयन के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली याचिकाओं का जोरदार विरोध किया था, और कहा था कि इस तरह का कोई भी प्रयास संविधान में संशोधन करने जैसा है. 


18 साल में बदले 14 सीईसी

बता दें कि वर्ष 2004 से कोई भी मुख्य चुनाव आयुक्त अपने 6 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है. अदालत ने अपनी टिप्पणी में इस बात को रेखांकित किया. कोर्ट ने कहा, " 2004 के बाद से, किसी भी सीईसी ने छह साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है और यूपीए सरकार के 10 साल के शासन के दौरान छह सीईसी थे और एनडीए सरकार के आठ वर्षों में आठ सीईसी हुए हैं।

क्यों हुआ टीएन शेषण की जिक्र

बता दें कि  टी.एन. शेषन तमिलनाडु कैडर से 1955 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के ऑफिसर थे. टी. एन. शेषन ने भारत के 18वें कैबिनेट सचिव के रूप में 27 मार्च 1989 से 23 दिसंबर 1989 तक सेवा दी. वो 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर 1996 को भारत के मुख्य चुनाव बने और 11 दिसंबर 1996 तक इस पद पर रहे. 

मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में टीएन शेषन की संवैधानिक दायित्वों के प्रति दबंगई ने चुनाव आयोग को नई पहचान दी. इसी दौरान बिहार में विधानसभा चुनाव हुए. सीईसी के रूप में उनकी सख्ती मिसाल बन गई. शेषन ने चुनाव सुधारों की शुरुआत बिहार से की. तब बिहार बूथ कैप्चरिंग के लिए बदनाम था. शेषन ने चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती करवाई और बूथ कैप्चरिंग और हिंसा को रोकने में कामयाब रहे. टीएन शेषन के कारण देश के लोगों को पता चला कि चुनाव कौन कराता है, चुनाव के नियम क्या होते  हैं।



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