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भोपाल गैस त्रासदी में आज हुई थी 3,787 लोगों की मौत, वहीँ 2019 में वायु प्रदूषण से देश में गई 16.7 लाख लोगों की जान

भोपाल गैस त्रासदी में आज हुई थी 3,787 लोगों की मौत, वहीँ 2019 में वायु प्रदूषण से देश में गई 16.7 लाख लोगों की जान

नई दिल्ली. आज से 37 साल पहले भारत ने दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदा का दंश झेला था. एक रात में 3787 लोगों की मौत से पूरे देश की आँखें तब नम हो गई थी जबकि करीब 5 लाख लोग उस आपदा से प्रभावित हुए थे. 2 दिसंबर, 1984 की रात भोपाल में हुई औद्योगिक आपदा में जान गंवाने वालों की याद में हर साल राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है. 

हालांकि दुर्भाग्यपूर्ण हादसे के 37 वर्ष बीत जाने के बाद भी देश के शहरों को औद्योगिक प्रदूषण जकड़ रहा है. आज भी हर साल प्रदूषण के कारण देश में लोग मरते जा रहे हैं। विशेषकर दिल्ली, पटना जैसे शहरों में प्रदूषण की स्थिति साल दर साल चिंताजनक बनती जा रही है. प्रदूषण से आम जनजीवन पर हो रहे गम्भीर असर को देखते हुए ही सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी. 

वहीं भोपाल गैस त्रासदी की बरसी पर पर्यावरणविदों की चिंता है क्या आज भी हमारा देश औद्योगिक प्रदूषण को कम करने और औद्योगिक सुरक्षा के मानकों को मानने की ओर अग्रसर है. जवाब चिंताजनक ही है. हाल ही में देश के शहरों को लेकर जारी स्वच्छ सर्वेक्षण में साफ तौर पर बताया गया है कि दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई सहित भारत के सभी बड़े महानगरों और शहरों की हवा तेजी से प्रदूषित हो रही है. 

देश में प्रदूषण की खतरनाक होती स्थिति का पता केंद्र सरकार की रिपोर्ट से चलता है. केंद्र सरकार की संस्था इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में वायु प्रदूषण की वजह से भारत में 16.7 लाख लोगों की मौत हुई. इतना ही नहीं, वायु प्रदूषण के कारण देश को 260,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ था. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में घरेलू वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली मौतों में 1990 से 2019 तक 64 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन इसी बीच हवा में मौजूद प्रदूषण की वजह से होने वाली मौतों में 115 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. आईसीएमआर के आंकडें यह बताने को काफी है कि देश में भोपाल गैस त्रासदी के बाद प्रदूषण रोकने को लेकर कोई बड़ा जमीनी बदलाव नहीं हुआ है.  

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