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किसान आंदोलन का एक महीना पूरा, सरकार के पत्र पर आज होगी चर्चा, जानिए अब तक की 10 बड़ी बातें....

किसान आंदोलन का एक महीना पूरा, सरकार के पत्र पर आज होगी चर्चा, जानिए अब तक की 10 बड़ी बातें....

डेस्क... आज किसान आंदोलन के पूरे एक महीनें हो गए हैं। सरकार से लेकर किसान सभी यही उम्मीद कर रहे हैं किसानों की इन मांगों का सर्वमान्य हल निकले। इस सिलसिले में आज शनिवार को किसान संगठनों की अहम बैठक होने जा रही है। इस मीटिंग में किसान संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बातचीत के लिए दी गई नई पेशकश पर चर्चा करेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे। सरकार के पत्र और प्रधानमंत्री के भाषण पर कुंडली, सिंघु बॉर्डर पर 26 दिसबंर को दोपहर 2 बजे सयुंक्त किसान मोर्चा की मीटिंग आयोजित की जाएगी। कुछ किसान संगठनों ने संकेत दिया है कि वे सरकार के साथ एक बार फिर से वार्ता शुरू कर सकते हैं, ताकि इस गतिरोध का कुछ समाधान निकाला जा सके। इस बैठक में केंद्र द्वारा बातचीत की पेशकश का क्या जवाब दिया इस पर एक औपचारिक फैसला लिया जा सकता है.।

किसान आंदोलन से जुड़ी 10 बड़ी बातें


1. किसान आंदोलन का आज (शनिवार) 31वां दिन है। अपनी मांगों को लेकर किसान दिल्ली के सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हुए हैं। अलग-अलग राज्यों से किसानों के धरनास्थल पर पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी है। गाजीपुर बॉर्डर पर डटे किसानों का आरोप है कि UP और उत्तराखंड पुलिस-प्रशासन किसानों को वहां पहुंचने से रोक रहा है।

2. किसानों और सरकार के बीच अब तक 6 दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन सभी बेनतीजा रहीं। दो दिन पहले एक बार फिर सरकार ने किसानों को बातचीत का प्रस्ताव दिया था। इसी प्रस्ताव पर आज संयुक्त किसान मोर्चा की 2 बजे महत्वपूर्ण बैठक होगी। इस बैठक में देश के 40 किसान संगठन शामिल होंगे। इस मीटिंग में सरकार से बातचीत पर आखिरी फैसला होगा।

3. प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य  पर कानूनी गारंटी की उनकी मांग बनी रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र के पत्र पर फैसला करने के लिए शनिवार को हमारी एक और बैठक होगी। उस बैठक में, हम सरकार के साथ बातचीत फिर शुरू करने का फैसला कर सकते हैं क्योंकि उसके पिछले पत्रों से प्रतीत होता है कि वह अब तक हमारे मुद्दों को नहीं समझ पाया है।'' 

4. उन्होंने कहा कि सरकार के पत्रों में कोई प्रस्ताव नहीं है और यही वजह है कि किसान संगठन नए सिरे से बातचीत करने और उन्हें अपनी मांगों को समझाने का फैसला कर सकते हैं। एक अन्य नेता ने कहा, ‘‘MSP को इन तीन कानूनों को वापस लेने की हमारी मांग से अलग नहीं किया जा सकता है। इन कानूनों में निजी मंडियों का जिक्र किया गया है। यह कौन सुनिश्चित करेगा कि हमारी फसल तय MSP पर बेची जाए, अगर यह नहीं है?" 

5. कई किसान यूनियनों की शुक्रवार को बैठक हुई, लेकिन केंद्र के ताजा पत्र को लेकर कोई फैसला नहीं हो सका। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने विरोध कर रहे किसान यूनियनों को बृहस्पतिवार को एक पत्र लिखा और उन्हें नए सिरे से बातचीत के लिए आमंत्रित किया। 

6. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने शुक्रवार को केंद्र से मांग की कि वह ट्रेनों की व्यवस्था करे, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे विरोध प्रदर्शनों तक पहुंच सकें। समिति ने कहा कि वे सभी किसानों के टिकटों के खर्च का भुगतान करने के लिए तैयार हैं।

7. पीएम नरेंद्र मोदी शुक्रवार को 'अटल संवाद' कार्यक्रम के जरिए किसानों के बीच थे। पीएम मोदी ने 'पीएम किसान सम्मान निधि' के तहत 9 करोड़ किसानों के खातों में 18,000 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए थे. इस दौरान उन्होंने अलग-अलग राज्यों के किसानों से बात की थी।

8. बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने किसानों से नए कृषि कानूनों को लेकर सवाल-जवाब किए और सभी किसानों ने इन कानूनों को उनके हित में बताया था। पीएम मोदी ने कार्यक्रम के दौरान विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां किसानों को भ्रमित कर अपना राजनीतिक एजेंडा साध रही हैं। 

9. वहीं दूसरी ओर कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए आंदोलन कर रहे किसान शुक्रवार को यहां राजमार्ग पर खटकड़ गांव व नरवाना के बद्दो वाला के पास टोल के सामने एकत्र हुए और उन्होंने थाली बजाकर प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन का विरोध किया। किसानों ने कहा कि जब तक तीनों कृषि कानून रद्द नहीं कर दिए जाते हैं, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा।

10. बहरहाल, जिस तरह किसान तीनों कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हैं और केंद्र सरकार इनके फायदे गिना रही है, जाहिर है किसानों और सरकार के बीच यह गतिरोध जल्द खत्म नहीं होने वाला है। दिल्ली बॉर्डर पर कई किसानों की मौत भी हो चुकी है और राजधानी में बढ़ती ठंड इसका एक बड़ा कारण है। किसान साफ कह रहे हैं कि अब वह इतना आगे आ चुके हैं और उनके पास बगैर अपनी मांगें पूरी करवाए पीछे लौटने का विकल्प नहीं है।


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