संजीव हंस की बड़ी पहल, बिजली विभाग के 400 कर्मियों को दी गयी आरएफएमएस वेब एप्लीकेशन के इस्तेमाल की ट्रेनिंग, सिस्टम में आएगी पारदर्शिता

PATNA : एसबीपीडीसीएल और एनबीपीडीसीएल यानी दोनों डिस्कॉम के लगभग 400 आईटी मैनेजर, असिस्टेंट आईटी मैनेजर एवं फील्ड ऑफिसर को रेड & एफआईआर मैनेजमेंट सिस्टम (आरएफएमएस) वेब एप्लीकेशन को इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी गई। ज्ञात हो कि पूरे बिहार में दोनों डिस्कॉम के फील्ड ऑफिसर के लिए 1 अगस्त 2023 से आरएफएमएस सीएमडी संजीव हंस के आदेश से लागू कर दिया गया है एवं सभी स्पेशल टास्क फोर्स मेंबर के लिए इसको इस्तेमाल करना अनिवार्य है। ज्ञात हो कि एसटीएफ मोबाइल ऐप के माध्यम से फील्ड ऑफिसर रेड के समय बेसिक विवरण जैसे कंज्यूमर संख्या, मीटर चालू है या नहीं, लैटिट्यूड, लॉन्गिट्यूड एवं साक्ष्य के लिए दो फोटो, वीडियो या ऑडियो फाइल अपलोड करते हैं। एसटीएफ ऐप में तीन तरह के कंज्यूमर के लिए ऑप्शन होते हैं, डिस्कॉम का पंजीकृत उपभोक्ता, अपंजीकृत उपभोक्ता एवं वैसे उपभोक्ता जिन्हें अपना कंज्यूमर डिटेल नहीं पता हो।
फील्ड से आने के बाद हर एक फील्ड ऑफिसर को हर घर बिजली पोर्टल के माध्यम से रेड & एफआईआर मैनेजमेंट सिस्टम में लॉगिन कर रेड संबंधित बाकी के डिटेल विस्तृत रूप से भरना होगा। आरएफएमएस में लॉगिन करने के लिए हर घर बिजली और सुविधा ऐप वाला ही लॉगिन आईडी एवं पासवर्ड डालना होगा। लॉगिन करते ही एसटीएफ मोबाइल ऐप का पूरा डाटा खुल जाएगा। यदि किसी उपभोक्ता के परिसर में जांच के दौरान कोई त्रुटि नहीं पा गई हो तो फील्ड ऑफिसर आरएफएमएस वेब ऐप पर उनके फॉर्म के आगे केस क्लोज ऑप्शन पर क्लिक कर सकते हैं। आरएफएमएस में तीन मॉड्यूल है, रेड मॉड्यूल; एफआईआर मॉड्यूल एवं पेमेंट मॉड्यूल। रेड मॉड्यूल के अंतर्गत वैसे उपभोक्ताओं के विषय में विवरण भरे जाते हैं जो औचक निरीक्षण के दौरान बिजली चोरी अथवा मीटर से छेड़छाड़ के दोषी पाए गए हों और उनपर कार्रवाई करने की आवश्यकता हो। इसके अंतर्गत रेड की एंट्री की जाती है, एफआईआर दर्ज करना है या नहीं, कंज्यूमर का लोड, मीटर डिटेल जैसे विवरण भरे जाते हैं। इस मॉड्यूल में प्रमाण के लिए ऑडियो, वीडियो या फोटो भी अपलोड करना आवश्यक है। फोटो कम से कम 2 एमबी एवं वीडियो 50 एमबी तक अपलोड किया जा सकता है। ये सारे विवरण भरने के बाद एक यूनिक रेड रेफरेंस नंबर जारी किया जाएगा और इसी नंबर के माध्यम से उक्त केस को ट्रैक किया जा सकेगा। इसी में प्रोविजनल चार्ज भी तय कर भरना होगा। प्रोविजनल चार्ज बिजली चोरी के विरुद्ध तय किया गया फाइन है।
आरएफएमएस के दूसरे मॉड्यूल में अगर किसी उपभोक्ता के विरुद्ध एफआईआर दर्ज किया गया है तो एफआईआर संबंधित सभी डिटेल भरने होंगे। एफआईआर दर्ज नहीं होने की स्थिति में इस मॉड्यूल को छोड़ कर आगे बढ़ा जा सकता है। एफआईआर दर्ज होने की स्थिति में पुलिस स्टेशन, एफआईआर की कॉपी, कोर्ट ऑर्डर, पुलिस की टिप्पणी, फील्ड अधिकारी का नाम और पद, फाइन की राशि जैसे सभी विवरण अपलोड करना होगा। उपभोक्ता द्वारा फाइन जमा कर देने की स्थिति में यह अपडेट हो जायेगा और पूरे पेमेंट के बाद केस बंद करने का ऑप्शन आएगा। आरएफएमएस के तीसरे मॉड्यूल में प्रोविजनल चार्ज के अलावा यदि और कोई चार्ज हो तो उसे जोड़ कर फाइनल अमाउंट कैलकुलेट कर के अपलोड किया जाता है। यूनिक रेड रेफरेंस आईडी के जनरेट होते ही उक्त उपभोक्ता के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एसएमएस के माध्यम से मैसेज चला जाएगा। उपभोक्ता उसके बाद हर घर बिजली पोर्टल पर लॉगिन कर के उस रेफरेंस आईडी की मदद से केस का पूरा विवरण देख सकते हैं। साथ ही फाइनल अमाउंट की राशि जा कर बिजली काउंटर पर जमा कर सकते हैं।
बीएसपीएचसीएल के सीएमडी संजीव हंस ने इस वेब ऐप के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि आरएफएमएस एसटीएफ मोबाइल ऐप का नवीनतम वेब एप्लीकेशन है। इस ऐप के जरिए रेड एवं एफआईआर संबंधित सभी विवरण एवं दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड किया जाएगा जिसे हेडक्वार्टर से लेकर सेक्शन ऑफिस तक कोई भी अधिकारी कभी भी आवश्यकतानुसार चेक कर सकते हैं। इससे सिस्टम में पारदर्शिता आएगी। साथ ही बेहतर ट्रैकिंग एवं मॉनिटरिंग की जा सकेगी। आरएफएमएस से पहले यह काम मैनुअल तरीके से किया जाता था। कई बार पेपर भुला जाने या फट जाने या संबंधित जूनियर इंजीनियर के ट्रांसफर हो जाने की स्थिति में संबंधित केस के विषय में कोई डाटा उपलब्ध नहीं हो पाता था। जिससे डिस्कॉम कंपनियों को अक्सर परेशानी का सामना करना पड़ता था। खास कर आरटीआई होने पर। इसके अलावा पहले एफआईआर दर्ज करने के बाद कई बार स्थानीय लोगों के दवाब में आकर या अन्य कारणों से फील्ड ऑफिसर एवं जूनियर इंजीनियर एफआईआर वापस ले लेते थे। अब वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। क्योंकि कोई भी बिजली संबंधित एफआईआर दर्ज होने की स्थिति में उन्हें डाटा ऑनलाइन भरना पड़ेगा।
ट्रेनिंग में टेक्निकल एडवाइजर प्रकाश नाथ मिश्रा, दोनों डिस्कॉम के चीफ इंजीनियर मो साजिद (एसबीपीडीसीएल) व अजय कुमार (एनबीपीडीसीएल); सीनियर प्रोटोकॉल ऑफिसर ख्वाजा जमाल; सीडीबीए चतुर्भुज मिश्रा; डीबीए एजाज़ अहमद, रेवेन्यू ऑफिसर नीतीश चंद्रा एवं आईटी मैनेजर जूलिया साहा मौजूद थीं।