लोकसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल को सदन में चर्चा के लिए रख दिया है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक की पीड़ित मुस्लिम बहनों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी। इसके बाद कोर्ट ने फैसला देते हुए तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। इसके बाद कोर्ट ने इस शरिया के खिलाफ भी बताया था। कोर्ट ने अपने फैसले में इस पर कानून बनाने की मांग की और अन्य मुस्लिम देशों को भी देखा जहां शरिया को बदला गया है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कोर्ट की कड़ी टिप्पणी और कानून के बाद भी यह मामले रुके नहीं है और 574 मामले आए हैं और कोर्ट के फैसेल के बाद भी तीन सौ से ज्यादा मामले आए हैं।
तीन तलाक बिल पर बोलते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि क्या मुस्लिम बहनों को ऐसी हालत में अकेला छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया के 20 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक को बैन किया है तो भारत क्यों नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट इसे गलत बता चुका है, कानून बनाने का आदेश भी दिया है, अब क्या कोर्ट के फैसले को पीड़ित बहने घर में टांगे, कोई कार्रवाई नहीं होगी। प्रसाद ने कहा कि भारत के संविधान में लैंगिक न्याय एक मूल दर्शन है और किसी समाज की महिलाओं को न्याय मिलना चाहिए। कानून मंत्री ने कहा कि सरकार के लिए लैंगिक न्याय एक अहम मुद्दा है और इसके लिए कई कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।