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बिहार के विकास की सच्ची तस्वीर! न घोड़ी, न कार, दूसरे के कंधे पर चढ़कर शादी करने पहुंचे दूल्हेराजा

बिहार के विकास की सच्ची तस्वीर!  न घोड़ी, न कार, दूसरे के कंधे पर चढ़कर शादी करने पहुंचे दूल्हेराजा

BUXER : हाल में ही नीति आयोग की रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें बिहार को विकास के मामले में सबसे पिछड़ा राज्य बताया गया है। जिसको लेकर बिहार बाद के नेताओं ने विरोध जताया है। लेकिन रिपोर्ट की हकीकत से जुड़ी कुछ तस्वीरें भी सामने आई है, जहां पक्की सड़क का नहीं होने का दंश आजादी के बाद से ही लोगों को उठाना पड़ रहा है। 16 साल से बिहार के शहर और गांव तक विकास की सड़क बनाने का दावा करनेवाली राज्य सरकार के लिए यह तस्वीरें आंखें खोलनेवाली है। जिसमें शादी करने जा रहा युवक न तो घोड़ी, न कार पर सवार था, बल्कि वह दूसरे के कंधे पर बैठकर जा रहा था। दूल्हे को इस तरह ले जाने का कारण गांव में पक्की सड़क नहीं होना बताया गया।

यह गांव है बक्सर जिले के चोंगाई प्रखंड स्थित 'नाचाप पंचायत का पुरैना गांव'. जहां देश की आजादी और आत्मनिर्भर भारत के 73 साल बाद भी लोगों के लिए पक्की सड़क आज भी एक सपना है. इस सपने को पूरा करने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कई ख्वाब दिखाए लेकिन वह भी केवल वोट लेने के लिए.आज तक इस मसले पर न तो किसी ने गंभीरता दिखाई और ना ही किसी ने इस दिशा में कोई पहल की.  महिलाओं का दावा है कि इस गांव में शादी करने के बाद से उनकी किस्मत ही फूट गई है.

बारिश में पूरा रास्ता हो गया कीचड़मय

इस गांव में विकास की सड़क का हाल कैसा है वह इस बात से ही समझा जा सकता है कि बीते दिनों गांव में दूल्हे राजा शादी करने के लिए गाजे बाजे और बारातियों के साथ धूमधाम से आए थे. लेकिन यहां बारिश होने के बाद गांव में हर तरफ कीचड़ हो गया. ऐसे में यहां दुपहिया वाहनों का भी आना जाना संभव नहीं था क्योंकि गांव में पक्की सड़क ही नहीं है. जिसके बाद दूल्हे को लोगों ने कंधे पर उठाकर मंजिल तक पहुंचाया। इस पूरी घटना की वीडियो भी वायरल हो गई। 

बेटियों के लिए नहीं है स्कूल

तीन दिन पहले ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बेटियों के उच्च शिक्षा में आरक्षण की व्यवस्था की है, जिसकी सभी ने तारीफ भी की है। लेकिन, पुरैना गांव की हकीकत कुछ और है। यहां बेटियों की पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं है। दूसरे गांव में व्यवस्था है, लेकिन गांव की सड़कों का जो हाल है, वहां जाना भी मुश्किल है। यह तब है जब बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत सभी बेटियों को शिक्षित करने की बात कही जाती है।इस गांव की महिलाओं का कहना है कि पक्की सड़क के अभाव में हमें इस गांव में घुट घुट कर जीवन बिताना पड़ रहा है. अगर किसी की तबीयत खराब हो जाए तो गांव से बाहर जाने के लिए सड़क नहीं है. ऐसे में मरीज की क्या हालत होगी और उनके परिजनों पर क्या गुजरती है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. 


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