PATNA: जातीय जनगणना, एक ऐसा मुद्दा जो अब बिहार के लिए ‘हॉट केक’ बन गया है। इस मुद्दे पर जेडीयू और बीजेपी से ज्यादा राजद ट्वीट और सियासत करते नजर आ रही है। जब से केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर स्पष्ट कर दिया गया है कि इस साल जातीय जनगणना नहीं कराई जाएगी, बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव काफी ज्यादा खफा है। वह लगातार एक के बाद एक ट्वीट कर केंद्र सरकार सहित बीजेपी को कोस रहे हैं। अपने हालिया ट्वीट में भी उन्होंने कुछ ऐसा ही किया है।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का ट्वीट कुछ इस प्रकार है- बहुत बड़े वंचित वर्ग के लिए गंभीर चिंता की बात है कि केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा प्रस्तुत कर कह दिया है कि 2021 में जातीय जनगणना "संभव नहीं होगी" । इस प्रकार केंद्र सरकार ने पूरे भारत की सामूहिक मांग को खारिज़ कर दिया। BJP का दोहरापन, वादाखिलाफ़ी और नौटंकी उजागर हुई। इस ट्वीट के जरिए साफतौर पर दिखाई दे रहा है कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात के बावजूद जब केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना को कोई भाव नहीं दिया, तब तेजस्वी कितने रोष में है। वह लगातार पिछड़ो-अतिपिछड़ो, वंचितों का नाम लेकर सियासत साधने में जुटे हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार और खास तौर पर बीजेपी को पिछड़ो-अतिपिछड़ो, वंचितों से नफरत-सी है, तभी वह इनके उद्धार के लिए नहीं सोचती, और ना ही किसी को सोचने और काम करने देना चाहती है। इतना ही नहीं, राजद सुप्रीमो लालू यादव ने ट्वीट कर कहा था जातीय जनगणना कराना काफी जरूरी है, और केंद्र सरकार इससे पीछे नहीं हट सकती है।
फिलहाल राज्य में केंद्र बनाम राज्य की लड़ाई जारी है। जहां राजद सहित विपक्षी दल जातीय जनगणना और कई अन्य मुद्दों पर आक्रामक रहते हैं। वहीं जदयू भी केंद्र सरकार से खफा है। इसका पहला कारण तो जातीय जनगणना ही है। इसके अलावा बीते 8 साल से बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग तो जिस तरह केंद्र दरकिनार करती आ रही है, वह भी शामिल है। इसको लेकर जदयू कोटे से मंत्री ने तो साफ कह दिया है कि अब हमें इस संदर्भ में मांग करनी ही नहीं है। बात करें जातीय जनगणना की, तो यह मुद्दा अभी लंबा खिंचने वाला है।