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UGC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बताया सही, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने फैसले का किया स्वागत

UGC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बताया सही, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने फैसले का किया स्वागत

DESK : सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी के हक में बड़ा फैसा दिया है। आज शुक्रवार को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य और विश्वविद्यालय 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित किये बगैर छात्रों को प्रोन्नत नहीं कर सकते। 

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुये अंतिम वर्ष की परीक्षायें कराने के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के फैसले को सही ठहराते हुये कहा कि अगर किसी राज्य को लगता है कि कोविड-19 महामारी की वजह से वह नियत तारीख तक परीक्षा आयोजित नहीं कर सकता है तो उसे नयी तारीख के लिये यूजीसी से संपर्क करना होगा।


पीठ ने कहा कि राज्यों को यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार ही अंतिम वर्ष की परीक्षायें करानी होंगी और इसमें किसी भी प्रकार की छूट के लिये उन्हें अनुमति लेनी होगी। पीठ ने कहा कि राज्य आपदा प्रबंधन कानून के तहत अंतिम वर्ष की परीक्षायें स्थगित कर सकते हैं, लेकिन इसके लिये नयी तारीख यूजीसी से परामर्श करके ही निर्धारित करनी होगी।

इधर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियल निशंक ने देश भर के विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में फाइनल ईयर की परीक्षाओं के आयोजन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। साथ ही उन्होंने शिक्षा को राजनीति से दूर रखने की अपील की है। 

आज शुक्रवार को उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'आज अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के संदर्भ में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यूजीसी के पक्ष में जो निर्णय दिया है उसका मैं हृदय से स्वागत करता हूं। आइए हम राजनीति को शिक्षा से दूर रखें और अपनी राजनीति को और अधिक शिक्षित बनाएं।'

बता दें अंतिम वर्ष की परीक्षायें स्थगित करने के लिये शिव सेना के युवक प्रकोष्ठ युवा सेना सहित कई याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर कोविड-19 महामारी के बीच परीक्षायें कराने के यूजीसी के फैसले पर सवाल उठाये थे। 


यूजीसी ने इससे पहले कहा था कि छह जुलाई के दिशानिर्देश विशेषज्ञों की सिफारिश पर आधारित हैं और विस्तृत मंत्रणा के बाद ही इन्हे तैयार किया गया है। यूजीसी ने कहा कि यह दावा करना गलत होगा कि इस दिशानिर्देशों के अनुसार अंतिम साल की परीक्षायें कराना संभव नहीं होगा।

इससे पहले निशंक ने इस मामले पर कहा था कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित कराने का फैसला छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखकर लिया है। यह इसलिए किया गया कि छात्रों को भविष्य में किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन, ऑफलाइन या इन दोनों के मिश्रित माध्यम से परीक्षा संचालित कराने का विकल्प दिया गया है। फाइनल ईयर की परीक्षा आयोजित किए बिना डिग्री देने से उस डिग्री पर कोरोना डिग्री का ठप्पा लग जाएगा। परीक्षा के मुद्दे पर एक टास्क फोर्स बनाई गई थी, उसी की सिफारिश पर गाइडलाइंस बनाई गईं।

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