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संयुक्त राष्ट्र ने चेताया, कोरोना संकट के पहले साल में लाखों बच्चों के भूखमरी से मारे जाने की आशंका

संयुक्त राष्ट्र ने चेताया, कोरोना संकट के पहले साल में लाखों बच्चों के भूखमरी से मारे जाने की आशंका

New Delhi : दुनियाभर में कोरोना वायरस ने कोहराम मचा दिया है. हर देश की स्थिति कमोबेश भयावह ही बनी है. कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने पर देश में लॉकडाउन लगाया गया. लॉकडाउन की वजह से कई लोग बेरोजगार हो गए. कई बड़े सेक्टर्स गर्त में चले गए. इसी बीच संयुक्त राष्ट्र ने बड़ा दावा किया है. यूएन के अनुसार कोरोना काल के पहले साल में लाखों बच्चों के भूखमरी से मारे जाने की आशंका है. 

दरअसल संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को आगाह किया है कि कोरोना वायरस और उससे निपटने के लिए लगे प्रतिबंधों के कारण कई समुदाय भूखमरी का सामना कर रहे हैं और एक महीने में 10,000 से अधिक बच्चों की जान जा रही है। छोटे किसानों का बाजारों से दूर हो जाना, गांवों में खाद्य पदार्थों तथा चिकित्सीय उपकरणों की कमी इसका प्रमुख कारण है।संयुक्त राष्ट्र की चार एजेंसियों के अनुसार बढ़ते कुपोषण के दीर्घकालिक परिणाम होंगे, जो व्यक्तिगत त्रासदियों को एक पीढ़ीगत तबाही में बदल सकते हैं। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन में पोषाहार के प्रमुख डॉ. फ्रांसेस्को ब्रांका ने कहा, ''कोविड-19 संकट के दौरान प्रभावित हुई खाद्य सुरक्षा का असर अब से क वर्ष तक दिखने वाला है। लैटिन अमेरिका से लेकर दक्षिण एशिया तक उप-सहारा अफ्रीका में, पहले से कहीं अधिक गरीब परिवार को भविष्य में पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाएगा। विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख डेविड बीसले ने अप्रैल में आगाह किया था कि कोरोना वायरस अर्थव्यवस्था इस साल वैश्विक आकाल का कारण बनेगी। खाद्य सुरक्षा को विभिन्न चरणों में आंका जाता है। अन्य कारणों के साथ ही 30 प्रतिशत आबादी के 'वेस्टिंग से पीड़ित होने पर आकाल घोषित किया जाता है।


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