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उन्नाव गैंगरेप : जीना चाहती थी पीड़िता, दिल्ली शिफ्ट किये जाने से पहले भाई से कहा था......

उन्नाव गैंगरेप : जीना चाहती थी पीड़िता, दिल्ली शिफ्ट किये जाने से पहले भाई से कहा था......

NEWS4NATION DESK : शुक्रवार को एक ओर जहां हैदराबाद कांड को लेकर पूरे देश में जश्न का माहौल रहा, वहीं देर रात एक बहुत ही दुखद घटना हो गई। उन्नाव गैंगरेप की पीड़िता आखिरकार मौत से जिंदगी की जंग हार गई।

दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शुक्रवार की देर रात  उन्नाव गैंगरेप की पीड़िता की मौत हो गई। सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक  ‘हमारे बड़े प्रयासों के बावजूद पीड़िता को बचाया नहीं जा सका। शाम में ही उसकी हालत खराब होनी शुरू हो गई थी. रात 11.10 बजे उसे कार्डियक अरेस्‍ट आया।  हमने इलाज शुरू किया और उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन रात में 11.40 बजे उसकी मौत हो गई। 

जीना चाहती थी पीड़िता

इतनी बड़ी घटना की शिकार हुई और 90 प्रतिशत जल चुकने के बाद भी पीड़िता ने हारी नहीं मानी थी। वह जीना चाहती थी। पीड़िता के भाई के अनुसार गुरुवार को जब उसे लखनऊ से दिल्‍ली शिफ्ट किया जा रहा था उस समय तो वह कुछ होश में थी। वह बार-बार बस एक ही बात पूछ रही थी कि मैं बच तो जाऊंगी न? मैं मरना नहीं चाहती हूं। लेकिन 90 प्रतिशत झुलस चुकी पीड़‍िता मौत से नहीं जीत पाई। करीब 40 घंटे तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद रात 11.40 बजेआखिरकार सांसों ने उसका साथ छोड़ दिया। 

पीड़िता के भाई ने बताया कि वह बहुत हिम्मत वाली थी। उसका हौसला दूसरों को भी हिम्मत देता था। इस हालात में भी वह हमसे यही कह रही थी कि कोई बचना नहीं चाहिए। हमने कहा कि तुम्हारी सांस खत्म तो हमारी सांस भी खत्म। हम तुम्हें कुछ होने नहीं देंगे। लड़ाई हमारी चल रही है। आगे क्या होगा हम नहीं जानते। लेकिन अब यह लड़ाई मेरी नहीं है, पूरे देश की है। देखते हैं सरकार और प्रशासन क्या करती है। अब जबकि पीड़‍िता जिंदगी की जंग हार चुकी है, देखना यह है कि उसकी इंसाफ की मांग कब पूरी होगी।

डॉक्टर भी थे हैरान

सफदरगंज अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार गुरुवार को जब वह दिल्‍ली पहुंची थी तो वे यह देखकर हैरान थे कि कैसे उसने अपने दर्द और तकलीफों पर काबू पा लिया था। 

अस्‍पताल के सूत्रों के अनुसार इतनी ज्‍यादा झुलसने के बाद भी लड़की होश में थी और उसके ब्‍लड प्रेशर, पल्‍स रेट वगैरह सामान्‍य थे। लेकिन उन्‍होंने यह भी आशंका जताई थी कि अगले 72 घंटे जोखिम भरे हैं, क्‍योंकि इस दौरान इन्‍फेक्‍शन या सेप्टिसीमिया होने का खतरा सबसे ज्‍यादा होता है।

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