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यूपी विधानसभा चुनाव का समापन कल: बिहार से यूपी में पैर पसार रहे जदयू की सबसे बड़ी उम्मीद हैं 39 मामलों के आरोपी बाहुबली धनंजय सिंह

यूपी विधानसभा चुनाव का समापन कल: बिहार से यूपी में पैर पसार रहे जदयू की सबसे बड़ी उम्मीद हैं 39 मामलों के आरोपी बाहुबली धनंजय सिंह

पटना. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण का मतदान सोमवार को होगा. वैसे तो यूपी में मुख्य मुकाबले में भाजपा के सामने समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बसपा को माना जा रहा है लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है. यूपी में जदयू की जमीन बनाने में जुटे नीतीश कुमार की उम्मीद भी सबसे ज्यादा सातवें चरण के मतदान पर ही टिकी है क्योंकि इस चरण में जदयू की सबसे बड़ी उम्मीद माने जा रहे बाहुबली धनंजय सिंह की किस्मत का फैसला जनता करेगी. 

पिछले कई दशकों से धनंजय सिंह यूपी की अपराध की दुनिया के सबसे बड़े नामों में एक रहे हैं. उन्हें मौजूदा दौर यूपी के सबसे बड़े बाहुबलियों में गिना जाता है. हत्या जैसे कई संगीन आरोपों में घिरे धनंजय सिंह को इस बार जदयू ने जौनपुर जिले की मल्हनी सीट से उम्मीदवार बनाया है. धंनजय एक ऐसे व्यक्ति हैं जो पुलिसिया कार्रवाई में एक बार मृत घोषित किये जा चुके हैं. 1998 में भदोही जनपद के सर्रोई में हुए पुलिस मुठभेड़ में तब पुलिसिया दावे में धनंजय सिंह को मृत घोषित किया गया था. लेकिन 2002 में धनंजय सिंह अचानक से जीवित हो गये और विधानसभा चुनाव जीत गए.

धनंजय सिंह के नाम की घोषणा जदयू ने 16 फरवरी को की थी यानी चुनाव के मात्र 20 दिन पहले पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया. जदयू ने यूपी में 51 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी जिसमें प्रथम सूची में 26 और दूसरी सूची में 17 नामों की घोषणा हुई थी. 

हालांकि जदयू ने जितने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है उनमें सबसे बड़ा नाम धनंजय सिंह का है. धनंजय के बाहुबली वाले रुतबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जदयू प्रत्याशी के खिलाफ कुल 39 मामले दर्ज हैं. इसमें से 7 मामले से विचाराधीन हैं. न सिर्फ अपराधिक मामलों में बल्कि सम्पत्ति में भी धनंजय सूबे के सबसे धनवान उम्मीदवारों में एक हैं. नामांकन के दौरान दिए गए हलफनामे में धनंजय सिंह ने बताया है कि उनके पास 5 करोड़ 31 लाख रुपये की अचल संपत्ति है. वहीं उनकी पत्नी श्रीकला सिंह के पास कुल अचल संपत्ति 7 करोड़ 80 लाख रुपये की है. यानी धनंजय और उनकी पत्नी के पास 13 करोड़ रुपए से ज्यादा की सम्पत्ति है. इसके अलावा पति-पत्नी के पास करीब 10 करोड़ रुपए की चल सम्पत्ति है. 


नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से साथ धनंजय सिंह काफी पहले जुड़े हैं. धनंजय सिंह ने 2002 में रारी (पहले म्ल्हानी सीट ही रारी था) विधानसभा से पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. वहीं 2007 में नीतीश की पार्टी जदयू से वे चुनाव जीते. हालांकि धनंजय ने बाद में मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया. वे 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा से लोकसभा सदस्य बने लेकिन 2 साल बाद ही उनका मायावती से नाता टूट गया. उसके बाद से धनंजय लगातार हर चुनाव हारते रहे हैं. वहीं उनके परिवार के अन्य लोग जौनपुर में लगातार राजनीतिक वर्चस्व बनाये हैं. जौनपुर में चाहे ब्लॉक प्रमुख का चुनाव रहा हो या फिर जिला पंचायत अध्यक्ष का हर चुनाव में धनंजय स‍िंह के समर्थक जीते हैं. फ़िलहाल उनकी पत्नी श्रीकला जिला पंचायत अध्यक्ष हैं और कई सीटों पर इनके ब्लॉक प्रमुख भी हैं. एमएलसी भी बृजेश सिंह प्रिंस भी उनके निकटस्थ हैं. 

ऐसे में भाजपा से अलग होकर यूपी में जदयू की राह बना रहे नीतीश कुमार को जिन कुछ सीटों पर जीत की उम्मीद है उसमें मल्हनी सबसे प्रमुख है. यहाँ से धनंजय सिंह अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी जोर आजमाइश कर रहे हैं. यहाँ से सपा के लकी यादव, भाजपा के जौनपुर के सांसद रहे डॉ. केपी सिंह और बसपा ने शैलेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है.


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