पटना. सासाराम में सम्राट अशोक के शिलालेख को लेकर बिहार में सियासी सरगर्मी तेज हो गयी है। इसको लेकर बीजेपी के बाद अब जदयू भी मैदान में कूद गयी है। भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने कल ही ऐलान किया था कि सासाराम में सम्राट अशोक के शिलालेखों को मुक्त कराने के लिए 1 अक्टूबर को प्रदर्शन किया जाएगा। अब इस मुद्दे पर बीजेपी से पिछड़ती देख जदयू भी मैदान में कूद गयी है। जदयू के उपेंद्र कुशवाहा ने मोर्चा संभालते हुए कहा अब तक इसका निपटारा न होना अफसोसजनक है। लेकिन अब जल्दी ही हो जाएगा। जिला अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों से मैं ने बात की है।दरअसल,इस मुद्दे को उठाकर सम्राट चौधरी ने कुशवाहा समाज में अपनी बढ़त ले ली थी. इसके बाद कुशवाहा समाज से आने वाले जेडीयू नेता उपेन्द्र कुशवाहा भी इसमें कूद पड़े.
जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट करते हुए कहा, 'सासाराम अवस्थित सम्राट अशोक शिलालेख से संबंधित विवाद काफी पुराना है। अबतक इसका निपटारा न होना अफसोसजनक है। लेकिन अब जल्दी ही हो जाएगा। जिला अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों से मैं ने बात की है। सभी ने आश्वस्त किया है। केन्द्र सरकार से भी अपेक्षा है कि इसके विकास की समग्र योजना बनाए।'
इससे पहले बुधवार को भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने सासाराम में सम्राट अशोक के शिलालेखों को मुक्त कराने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा कि सासाराम के चंदन पहाड़ी पर स्थित सम्राट अशोक के शिलालेख पर कब्जा कर मजार बना लिया गया है। स्थानीय नेताओं के साथ प्रदर्शन करेंगे और सरकार से मांग करेंगे कि जल्द से जल्द शिलालेखों को मुक्त करवाया जाए नहीं तो अनिश्चितकालीन प्रदर्शन करेंगे।
सम्राट चौधरी ने कहा था कि 23 सौ साल से शिलालेख थे। लेकिन जब से लालू-नीतीश (पलटू) की सरकार बनी है। तब से शिलालेखों पर तालाबंदी हो रही है। इन्हीं के सह पर आज दूसरे समूदाय के लोगों ने शिलालेखों पर कब्जाकर तालाबंदी करने का काम किया है। जिसे हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। सम्राट चौधरी ने कहा कि पुरातत्विक विभाग ने सरकार से कई बार पहल तो की लेकिन पलटू सीएम नीतीश कुमार और सजायाफ्ता लालू यादव की वोट बैंक की राजनीति ने हमारे वीर योद्धा सम्राट अशोक की स्मारकों पर तालाबंदी करवा दी।