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उपेंद्र कुशवाहा ने किया बड़ा हमला : जातिगत से नहीं, धार्मिक जनगणना से फैलता है उन्माद, यह उनका काम

उपेंद्र कुशवाहा ने किया बड़ा हमला : जातिगत से नहीं, धार्मिक जनगणना से फैलता है उन्माद, यह उनका काम

PATNA : जातिगत जनगणना को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्र की भाजपा सरकार पर बड़ा हमला किया है। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कुछ लोग कहते है कि जातीय जनगणना से तनाव पैदा होता हैं लेकिन उनको यह पता होनी चाहिए कि धार्मिक जनगणना से ही तनाव पैदा होता हैं और लोग चाहते हैं कि धार्मिक तनाव रहे। लेकिन हमलोगों की यह कोशिश हैं कि जातीय जनगणना हो ताकी जाति का आंकड़ा सभी को मिल सके। उक्त बातें उन्होंने जातीय जनगणना को लेकर सोशलिस्ट इम्प्लॉइज संगठन की ओर से आयोजित सेमिनार के दौरान कही।

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि पहले सरकार ने यह घोषणा की थी कि 2021 के जनगणना में जाति को भी जोड़ा जाएगा, लेकिन अब सरकार इस बात से न जाने क्यों इनकार कर रही है। इस बार भी अगर जनगणना नहीं होती है तो 10 साल फिर इंतजार करना पड़ेगा। इसी प्रकार से अगर समय की सिर्फ बर्बादी होगी तो कभी सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं हो सकेगा। 


जातिगत उन्माद की बात गलत 

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा सरकार का मानना है कि जातिगत जनगणना से तनाव और उन्माद की स्थिति होगी। लेकिन यह पूरी तरह से गलत है। अब तक एसटी-एससी की जनगणना की जाती रही है. जिसको लेकर कोई तनाव नहीं हुआ। जातिगत जनगणना कराने पर भी कुछ नहीं होगा।

90 साल पुराने आंकड़े अब सही नहीं

जदयू नेता ने कहा कि भारत में अंतिम बार 1931 में जातिगत जनगणना कराई गई थी, उस आंकड़े को अब तक इस्तेमाल किया जा रहा है। जो कि सही नहीं है। आज स्थिति दूसरी है, इसलिए जरुरी है कि एक बार फिर से जातिगत जनगणना कराई जाए, ताकि उसके आधार पर योजना बनाई जा सके। इस दौरान उपेंद्र कुशवाहा ने इस बात का ऐलान कर दिया कि जातिय जनगणना से नहीं रोक सकती है। वह बिहार सरकार से अनुरोध करेंगे कि अगर केंद्र सरकार नहीं कराती है तो आप इसके बारे में सोचिए

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