बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

कोचिंग वाले ने कहा आपसे ना होगा, फिर अनपढ़ मां और किसान पिता का बेटा खुद पढ़कर बना UPSC टॉपर

कोचिंग वाले ने कहा आपसे ना होगा, फिर अनपढ़ मां और किसान पिता का बेटा खुद पढ़कर बना UPSC टॉपर

Desk: आंध्रप्रदेश के एक छोटे से गांव का 30 वर्षीय एक प्रतिभाशाली युवा, संघर्षों के पहाड़ को पार कर देश के सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा यूपीएससी के शिखर के तीन लोगों में जा शामिल हुआ. यूपीएससी टॉपर्स को सम्मानित करने के लिए जब उन्हें दिल्ली बुलाया गया, उनके पास किराये तक के पैसे नहीं थे. अपने पड़ोसी से उधार लेकर वे पहुंच पाए.

यूपीएससी परीक्षा में तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले ये प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं गोपालकृष्ण रोनांकी. जिन्होंने 11 साल एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षक की नौकरी की. ये श्रीकाकुलम जिले के पालसा ब्लॉक के परसाम्बा गांव के निवासी हैं. इनके माता-पिता खेतों में काम करने वाले मजदूर हैं. हालांकि इन्होनें सपना तो देखा था कलेक्टर बनने का, पर घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इन्होनें एक छोटी नौकरी कर ली और अपने घर की मदद करने लगे. 

गोपाल की माता अनपढ़ हैं पर वह हमेशा चाहती थीं कि उनका बेटा अच्छे स्कूल में पढ़े परन्तु घर की स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से उन्हें एक सरकारी स्कूल में डालना पड़ा. उनके लिए रोज का सिलसिला था कि वे जब घर लौटते थे तब उन्हें घर में अंधेरा ही मिलता था क्योंकि वहां बिजली नहीं थी. जब वे बड़े हुए तब भी उनके घर में इतने पैसे नहीं थे कि उन्हें कॉलेज भेज दें. इस वजह से उन्होंने ग्रेजुएशन दूरस्थ शिक्षा से पूरा किया. उनकी सारी शिक्षा तेलुगु माध्यम से हुई थी. ग्रेजुएशन ख़त्म होने के बाद इन्होनें  दो महीने का टीचर ट्रेनिंग का कोर्स किया और 2006 में एक सरकारी स्कूल में टीचर बन गए. गोपाल के लिए यह नौकरी ज्यादा महत्वपूर्ण थी बजाय अपने सपने को पूरा करना. परन्तु वे अपने लक्ष्य को खोना नहीं चाहते थे. तब उन्होंने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया. नौकरी छोड़कर वे हैदराबाद चले गए. वे चाहते थे की किसी अच्छे कोचिंग में उनका दाखिला हो जाये. परन्तु जैसे इस शहर ने उनके गाल पे तमाचा सा जड़ दिया, उन्हें किसी भी कोचिंग इंसीटीटूट ने एडमिशन नहीं दिया. उन्होंने कहा कि वे एक छोटे से गांव से हैं और उन्हें हिंदी और इंग्लिश दोनों नहीं आती और वे इस ट्रेनिंग के लिए योग्य नहीं हैं और फिर उनके पास कोई रास्ता नहीं बचा केवल स्व-अध्ययन के.

गोपाल ने किसी भी कोचिंग की ऊंगली पकड़कर नहीं बल्कि अकेले अपने दम पर तैयारी की. दिशा-निर्देश के अभाव में यूपीएससी की परीक्षा में तीन बार असफल रहे. परन्तु उनकी लगन ही उनकी ताकत बनी. तब तक उनके माता-पिता को उनके लक्ष्य के बारे में पता भी नहीं था. वे सोचते थे कि गोपाल एक टीचर है और शांति से अपना जीवन बिता रहा है. सिविल मेंस के लिए उन्होंने तेलुगु लिटरेचर को अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट चुना. उन्होंने अपना इंटरव्यू भी तेलुगु में दिया. तेलुगु दुभाषिये की मदद से इन्होनें इंटरव्यू दिया. गोपाल ने बड़ा ही कठिन जीवन बिताया है. परन्तु इस कठिनाई ने उन्हें और भी मजबूत बना दिया है. दशकों के अथक प्रयासों के फलस्वरूप गोपाल ने आज वह पद हासिल किया है, जिसे बेहतरीन शिक्षा और पृष्ठभूमि के बावजूद लोगों के लिए छू पाना भी सपना सा लगता है.


Suggested News