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Valentine's day पर ऐसे खुश करें अपनी महबूबा को, कभी दूर नहीं जाएगी आपसे...

Valentine's day पर ऐसे खुश करें अपनी महबूबा को, कभी दूर नहीं जाएगी आपसे...

N4N Desk: प्यार का इज़हार शायरी के बिना अधूरा है और मौका वैलेंटाइन वीक (Valentine Week) का हो तो अपने साथी को शायरी (Shayari) से अपने प्यार का इज़हार करना जरूरी हो जाता है. आज से Valentine Week  शुरुआत हो गयी है. तो अपनी गर्लफ्रेंड को ये मैसेज भेज कर खुश कर सकते हैं.

मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूं

वो ख़ुद गुलाब थी उस को गुलाब क्या देता

अफ़ज़ल इलाहाबादी

'अनवर' मिरी नज़र को ये किस की नज़र लगी

गोभी का फूल मुझ को लगे है गुलाब का

अनवर मसूद

दिन में आने लगे हैं ख़्वाब मुझे

उस ने भेजा है इक गुलाब मुझे

इफ़्तिख़ार राग़िब


Valentine Week 7 फरवरी से शुरू, जानिए Rose Day से Valentine's Day के बीच के सभी Love Days


मेरे होंटों पे ख़ामोशी है बहुत

इन गुलाबों पे तितलियां रख दे

शकील आज़मी

ग़ालिब और मीरज़ा 'यगाना' का

आज क्या फ़ैसला करे कोई

यगाना चंगेज़ी

'ग़ालिब' ओ 'मीर' 'मुसहफ़ी'

हम भी 'फ़िराक़' कम नहीं

फ़िराक़ गोरखपुरी

हम-अस्रों में ये छेड़ चली आई है 'अज़हर'

याँ 'ज़ौक़' ने 'ग़ालिब' को भी ग़ालिब नहीं समझा

अज़हर इनायती


Rose Day के लिए खास मैसेजेस, Valentine Week की करें शुरुआत इन प्यार भरें SMS के साथ


किसी ने मुझ से कह दिया था ज़िंदगी पे ग़ौर कर

मैं शाख़ पर खिला हुआ गुलाब देखता रहा

अफ़ज़ाल फ़िरदौस

निकल गुलाब की मुट्ठी से और ख़ुशबू बन

मैं भागता हूँ तिरे पीछे और तू जुगनू बन

जावेद अनवर

भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब

कि जैसे तू ने हथेली पे गाल रक्खा है

अहमद फ़राज़

वाह क्या इस गुल-बदन का शोख़ है रंग-ए-बदन

जामा-ए-आबी अगर पहना गुलाबी हो गया

मुज़फ़्फ़र अली असीर

अज़ाब होती हैं अक्सर शबाब की घड़ियां

गुलाब अपनी ही ख़ुश्बू से डरने लगते हैं

बद्र वास्ती

है लुत्फ़ हसीनों की दो-रंगी का 'अमानत'

दो चार गुलाबी हों तो दो चार बसंती

अमानत लखनवी

गुलाब टहनी से टूटा ज़मीन पर न गिरा

करिश्मे तेज़ हवा के समझ से बाहर हैं

शहरयार

वो क़हर था कि रात का पत्थर पिघल पड़ा

क्या आतिशीं गुलाब खिला आसमान पर

ज़फ़र इक़बाल

तू छोड़ अब तो असीर-ए-क़फ़स को ऐ सय्याद

कली चटकने लगी मौसम-ए-गुलाब आया

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

दिल में तिरे ख़ुलूस समोया न जा सका

पत्थर में इस गुलाब को बोया न जा सका

हसन अकबर कमाल

आख़िर को रूह तोड़ ही देगी हिसार-ए-जिस्म

कब तक असीर ख़ुशबू रहेगी गुलाब में

सैफ़ी सिरोंजी

रंगत उस रुख़ की गुल ने पाई है

और पसीने की बू गुलाब में है

सख़ी लख़नवी

बंद-ए-क़बा में बांध लिया ले के दिल मिरा

सीने पे उस के फूल खिला है गुलाब का

अहमद हुसैन माइल

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